- ब्लैक फंगस मरीजों को लगेगा इंजेक्शन एंफोटेरिसिन-बी

- कालाजार में किया जाता है उपयोग, केंद्र की हरी झंडी

PATNA : बिहार में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ब्लैक फंगस के मरीजों का त्वरित इलाज हो सके, इसके लिए एम्स पटना और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना (आईजीआईएमएस) को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया गया है। यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने दी। दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ब्लैक फंगस के मरीजों को एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन देने की अनुमति दे दी है। यह इंजेक्शन कालाजार मरीजों को बीमारी से निदान के लिए दिया जाता है।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि कोरोना संक्रमित कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले भी मिले हैं। राज्य में ऐसे अब तक 56 मरीज मिल चुके हैं। इन मरीजों का सही प्रकार से इलाज हो सके, इसके लिए सरकार ने पटना एम्स और आईजीआईएमएस को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने से इन अस्पतालों में ब्लैक फंगस मरीजों के लिए बेहतर प्रबंध किया जाएगा। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन को निर्देश भी दिए गए हैं कि वे इसके लिए जो संसाधन चाहिए वे जुटाएं।

उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के मामले मिलने के बाद मेडिकल से जुड़ी समस्याओं पर राय देने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति से इस बीमारी के निदान के लिए आवश्यक गाइडलाइन मांगी गई थी। समिति ने गहन विमर्श के बाद कालाजार के रोगियों को दिए जाने वाले इंजेक्शन एंफोटेरिसिन-बी के इस्तेमाल की सलाह दी थी। 13 मई को स्वास्थ्य विभाग ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से इस इंजेक्शन का इस्तेमाल ब्लैक फंगस के मरीजों पर करने की अनुमति मांगी थी। मंत्रालय ने बिहार के प्रस्ताव पर विमर्श के बाद इसकी अनुमति दे दी है। उसके बाद विभिन्न अस्पतालों को इंजेक्शन के छह हजार वॉयल भेजे गए हैं।