जीपीओ में आयोजित ऑल इंडिया पोस्टल रेसलिंग टूर्नामेंट के दूसरे दिन गोल्ड मेडल हासिल करने वाले पहलवान अमलेश सिंह यादव का। अमलेश ने बताया कि 12 वर्ष की उम्र से वो पहलवान बनने की तैयारी में लगे हुए हैं। सुबह चार बजे से लेकर देर रात तक अपना शेड्यूल तय करना होता है। तब जाकर आप फिजिकल रूप से तैयार हो पाते हैं।

कमर, हाथ और दिमाग
पहलवानी में एक साथ तीन चीजें काम करती हैं। कमर, हाथ और दिमाग। तीनों को मजबूत और एक-दूसरे के लिए यूज करने के लिए लगातार प्रैक्टिस जरूरी होती है। पहलवान अमलेश ने बताया कि ताकत के लिए सबसे अधिक लिक्विड प्रोडक्ट का यूज किया जाता है। इसमें पानी, ग्लूकोज से लेकर जूस तक शामिल है। जो आपको दिन में कम से कम दो बार लेना होता है। साथ ही रूटीन भी मेंटेन करना होता है। क्योंकि अगर लापरवाही हुई तो फिर ताकत को रीकवर करने में एक वीक का वक्त लग जाता है.

पहलवान बनना है तो
सुबह चार बजे उठकर ग्राउंड का चक्कर लगाएं।
मसल्स, गर्दन और कमर की एक्सरसाइज करें.
इस दौरान जूस और फ्रूट्स खाएं।
हर दिन अखाड़े में दस पहलवान से भिडऩा होता है।
बादाम, जूस, फ्रूट्स, कम तैलीय और मसाला वाला खाना खाएं.
दिन और रात के खाने में चावल और दाल का यूज सबसे अधिक करें।