एक चौथाई ही खर्च
विभाग के प्रधान सचिव ने नगर निगम की बीते वर्ष के नवम्बर तक की रिपोर्ट जारी की है। जिस आधार पर निगम की आर्थिक, नागरिक सुविधा और योजनाओं की समीक्षा की गई। नगर निगम ने विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा को बीते दिनों नवम्बर तक की रिपोर्ट भेजी थी. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग सभी बिंदुओं पर निगम की स्थिति निराशाजनक है। रिपोर्ट के मुताबिक चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के तहत पहले से 8039.31 लाख रुपए थे, इसमें वित्तीय वर्ष 2015-16 में महज 29 फीसदी ही व्यय हो पाया है, जो काफी कम है। काम होता तो लोगों को परेशानी नहीं होती. 

आपसी कलह, बड़ी वजह
निगम में पदाधिकारी व मेयर के बीच आपसी कलह के कारण आम जनता की सुविधा के लिए बनाई गई योजनाएं जमीन पर उतर नहीं पा रही है। ये हालात पिछले सात सालों से जारी है। मौजूदा नगर आयुक्त जय सिंह और मेयर अफजल इमाम के बीच जारी विवाद और डिप्टी मेयर को लेकर चल रही रूप नारायण मेहता व अमरावती देवी का मामला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं इससे पहले भी नगर आयुक्त से मेयर का विवाद काफी दिनों तक चर्चा में रहा है.

आखिरकार चन्देश्वर को निलंबित किया
पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (वि.) संप्रति पटना नगर निगम की शहरी योजना में टाइपिस्ट के पद पर कार्यरत चन्देश्वर पांडेय को आखिरकार निगम ने तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया है। पांडेय को पुलिस हिरासत में लिए लेने की जानकारी मिलने के बाद निगम ने यह कार्रवाई की। पांडेय को 22 दिसम्बर से ही पुलिस हिरासत में था, लेकिन इसकी जानकारी न तो शास्त्रीनगर के थानेदार को थी और न ही निगम को। आई नेक्स्ट ने 'आखिर कहां गया चन्देश्वर?Ó शीर्षक से खबर भी प्रकाशित की। निगम को जानकारी मिलने के बाद बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण व अपील) नियमावली-2005 के नियम-09 के तहत उसे निलम्बित किया। नगर आयुक्त के मुताबिक चन्देश्वर को 22 दिसंबर से ही तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलम्बन अवधि में नियमानुसार इन्हें जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा.

 

एक चौथाई ही खर्च

विभाग के प्रधान सचिव ने नगर निगम की बीते वर्ष के नवम्बर तक की रिपोर्ट जारी की है। जिस आधार पर निगम की आर्थिक, नागरिक सुविधा और योजनाओं की समीक्षा की गई। नगर निगम ने विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा को बीते दिनों नवम्बर तक की रिपोर्ट भेजी थी. 

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग सभी बिंदुओं पर निगम की स्थिति निराशाजनक है। रिपोर्ट के मुताबिक चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के तहत पहले से 8039.31 लाख रुपए थे, इसमें वित्तीय वर्ष 2015-16 में महज 29 फीसदी ही व्यय हो पाया है, जो काफी कम है। काम होता तो लोगों को परेशानी नहीं होती. 

 

आपसी कलह, बड़ी वजह

निगम में पदाधिकारी व मेयर के बीच आपसी कलह के कारण आम जनता की सुविधा के लिए बनाई गई योजनाएं जमीन पर उतर नहीं पा रही है। ये हालात पिछले सात सालों से जारी है। मौजूदा नगर आयुक्त जय सिंह और मेयर अफजल इमाम के बीच जारी विवाद और डिप्टी मेयर को लेकर चल रही रूप नारायण मेहता व अमरावती देवी का मामला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं इससे पहले भी नगर आयुक्त से मेयर का विवाद काफी दिनों तक चर्चा में रहा है।

 

आखिरकार चन्देश्वर को निलंबित किया

पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (वि.) संप्रति पटना नगर निगम की शहरी योजना में टाइपिस्ट के पद पर कार्यरत चन्देश्वर पांडेय को आखिरकार निगम ने तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया है। पांडेय को पुलिस हिरासत में लिए लेने की जानकारी मिलने के बाद निगम ने यह कार्रवाई की। पांडेय को 22 दिसम्बर से ही पुलिस हिरासत में था, लेकिन इसकी जानकारी न तो शास्त्रीनगर के थानेदार को थी और न ही निगम को। आई नेक्स्ट ने 'आखिर कहां गया चन्देश्वर?Ó शीर्षक से खबर भी प्रकाशित की। निगम को जानकारी मिलने के बाद बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण व अपील) नियमावली-2005 के नियम-09 के तहत उसे निलम्बित किया। नगर आयुक्त के मुताबिक चन्देश्वर को 22 दिसंबर से ही तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलम्बन अवधि में नियमानुसार इन्हें जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।