- कोरोना के कारण दुर्गा पूजा में बड़े आयोजनों पर है रोक

- हर साल आर्ट कॉलेज के कलाकार मूíत और पंडाल निर्माण में अहम भूमिका निभाते रहे हैं

- पूजा में कलाकार भी मौका चुके

PATNA :

पटना में लगातार दूसरे वर्ष दुर्गा पूजा की तैयारी लगभग ठप है। बीते वर्ष भीषण जलजमाव और इस वर्ष कोरोना के कहर की वजह से दुर्गा पूजा का आयोजन लगभग ठप है। किसी भी बड़े आयोजन पर प्रशासन की ओर से रोक लगाई गई है। इसका सबसे बुरा असर इसकी तैयारी से जुड़े कलाकारों पर पड़ा है। मूíतकला इंस्टॉलेशन वर्क डिजाइनिंग अप्लाइड आर्ट फोटोग्राफी आदि विविध क्षेत्र के कलाकार इस बार भी खाली हाथ है। यह साल भर का एक मौका होता था जिसमें वह अपनी कला का प्रदर्शन करने के साथ ही पूरे साल की एक अच्छी आमदनी भी प्राप्त करते थे। इस बार कोरोना की वजह से काम ठप होने से कलाकारों के बीच मायूसी का आलम है। वही3 दूसरी ओर आíथक मंदी भी हावी है इसलिए वैकल्पिक काम भी नहीं मिल रहा।

लाख रुपए की होती थी कमाई

कला एवं शिल्प कॉलेज पटना के तमाम पूर्ववर्ती स्टूडेंट्स दुर्गा पूजा के अवसर पर अपनी कला का प्रदर्शन करते थे .इसमें कोई मूíत कला तो कोई पंडाल डिजाइन तो कोई इससे जुड़े दूसरे काम को बड़ी शिद्दत से पूरा करते थे। पूजा से 1 महीने पहले ही उन्हें ढेर सारा काम मिल जाता था। पूजा कमेटियां इन्हें अप्रोच करती थी और भव्य आयोजन होता था। कला एवं शिल्प महाविद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र नितेश कुमार रजक ने बताया कि मूíत बनाना, सिनेरियो क्रिएट करना, इंस्टॉलेशन वर्क आदि छोटे बड़े तमाम काम को मिलाकर कम से कम लाख रुपए की आमदनी आसानी से हो जाती थी, लेकिन बीते 2 वर्ष से काम नहीं मिल रहा। उन्होंने बताया कि केवल एक सेट की डिजाइनिंग में ही लाख रुपए या इससे अधिक का बजट रहता था। वह पूर्वर्ती छात्र संजय कुमार ने बताया कि सरकार कलाकारों की लगातार उपेक्षा कर रही है। उनके पास इतना काम होता था की कभी सरकारी मदद की सोचते भी नहीं थे, लेकिन इस बार स्थिति इसके उलट है।

छोटे ऑर्डर भी नहीं मिल रहे

कला के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े रहे कला एवं शिल्प कॉलेज के पूर्ववर्ती छात्र रमाकांत, सुनील बिंदास, नितेश कुमार रजक और संजय कुमार ने बताया कि जहां एक और दुर्गा पूजा में कलाकारों का काम लगभग ठप है तो दूसरी तरफ छोटे ऑर्डर भी नहीं मिल रहे हैं। कलाकार सुनील बिंदास का कहना है कि आíथक मंदी की वजह से प्राइवेट पाíटयों के माध्यम से भी काम नहीं मिल रहा। इस वजह से कलाकारों पर दोहरी मार पड़ रही है। जबकि संजय कुमार और नितेश कुमार रजक ने कहा कि सरकार को कोरोना काल में कलाकारों के लिए ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए थी जिसमें वे अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन करते हुए अपनी आय की व्यवस्था कर पाते।

नए कलाकार को भी होता था मौका

सत्र 2013-17 के अप्लाइड आर्ट के छात्र रहे सुनील बिंदास ने बताया कि अभी स्थिति ऐसी हो गई है कि पटना के बाहर भी काम नहीं मिल रहा है। बंगाल में काफी काम होता है। लेकिन वहां स्थानीय कलाकार बड़ी संख्या में हैं। बाहर के कलाकार के लिए मौका नहीं है। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान कम से कम चार से पांच पंडालों को डेकोरेट करने का काम मिल जाता था। बड़ी संख्या में आर्ट वर्क मिलने से नए कलाकारों को भी इसमें जोड़ लिया जाता था। वह कुछ आमदनी प्राप्त करते थे और काम भी सीखते थे, लेकिन इस बार तो अनुभवी कलाकार ही खाली हाथ है।

ऐसी उम्मीद थी कि कोरोना से थोड़ा राहत हो जाएगा और दुर्गा पूजा का सार्वजनिक आयोजन भी होगा लेकिन ऐसा नहीं होने से कलाकारों का कामकाज ठप हो गया है।

नितेश कुमार रजक

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कलाकारों की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। वह परिस्थिति के साथ ही सरकारी उपेक्षा के भी शिकार हैं। सरकार को कलाकारों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

संजय कुमार

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लगातार दो साल से स्थिति दयनीय हो गई है। दुर्गा पूजा के बहाने कलाकारों को काम करने का काफी अवसर होता था। विशेष तौर पर स्थानीय कलाकारों के लिए यह बहुप्रतीक्षित और आíथक उपार्जन का जरिया था।

सुनील बिंदास