-सक्षम, समाज कल्याण विभाग और दिव्यांगजन सशक्तिकरण निदेशालय की ओर से निकाली गई प्रभात फेरी

PATNA: ऑटिज्म का इलाज अभी नहीं है, लेकिन अगर इसे परिवार में ही बचपन में पहचान कर लिया जाए तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। ऐसे बच्चों को समाज में समानता का अधिकार मिले, सम्मान मिले, इसके लिए अवेयरनेस जरूरी है। यह बातें समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहीं। वे फ्राइडे को व‌र्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे पर आयोजित प्रभात फेरी में बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे। प्रभात फेरी सुबह 8 बजे राजभवन से प्रारंभ होकर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, पटना में इस संकल्प के साथ समाप्त हुआ कि आटिज्म के प्रति पब्लिक को अवेयर और संवेदनशील बनाना है। इस अवसर पर मंत्री ने कहा कि बिहार में पहली बार ऑटिज्म के प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। हर वर्ष 2 अप्रैल को दुनियाभर में व‌र्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है। इसकी घोषणा 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने की थी। इस प्रभात फेरी का उद्देश्य आटिज्म से ग्रस्त चाहे बच्चे हो, बड़े या किसी उम्र के लोग, उनके प्रति लोगों की भावना सकारात्मक रहे। प्रभात फेरी का आयोजन सक्षम, समाज कल्याण विभाग और दिव्यांगजन सशक्तिकरण निदेशालय की ओर से किया गया। मंत्री ने इस आयोजन के लिए सभी को धन्यवाद दिया।

क्या है ऑटिज्म

ऑटिज्म यानी स्वपरायणता एक प्रकार के न्यूरो डेवलपमेंट विकार है जो एक प्रकार की दिव्यांगता की श्रेणी में आता है, जिस कारण बच्चों में संज्ञात्मक, भावनात्मक, सामाजिक, व्यक्तिगत और संप्रेषण विकास प्रभावित होता है और बच्चे अपने आप में खोया-खोया रहता है। व्यक्ति के विकास संबंधी समस्याओं में ऑटिज्म तीसरे स्थान पर है। यानी व्यक्ति के विकास में बाधा पहुंचाने वाले मुख्य कारणों में ऑटिज्म भी जिम्मेदार है। ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति को मिर्गी के दौरे भी पड़ सकते हैं। ऑटिज्म के लक्षण अक्सर पहले तीन वर्षो के दौरान बच्चे के माता-पिता द्वारा देखे जाते हैं। ये संकेत धीरे-धीरे विकसित होते हैं। यह पूरी दुनिया में फैला हुआ है। ऑटिज्म को कई नामों से जाना जाता है जैसे- स्वलीनता, मानसिक रोग और स्वपरायणता।

पीडि़त लोगों का बढ़ाएं हौसला

दिव्यांगजन सशक्तिकरण निदेशालय के निदेशक राजकुमार ने बताया कि ऑटिज्म से ग्रस्त लोगों को इससे लड़ने और इसका निदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना है ताकि वे समाज में अन्य लोगों की तरह पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकें। इस गंभीर दिव्यांगता के प्रति लोगों को अवेयर करना है। इस दिन उन बच्चों और बड़ों के जीवन में सुधार के कदम उठाए जाते हैं, जो ऑटिज्म से पीडि़त होते हैं। नीला रंग ऑटिज्म का प्रतीक है। प्रभात फेरी में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सक्षम सह निदेशक सामाजिक सुरक्षा दयानिधान पांडेय, बिहार राज्य बाल संरक्षण महिला आयोग की अध्यक्ष प्रमिला कुमारी प्रजापति, बिहार राज्य बाल संरक्षण महिला आयोग की सदस्य सुनंदा पांडेय, दिव्यांगजन सशक्तिकरण निदेशालय के निदेशक राज कुमार, आईसीडीएस निदेशक अलोक कुमार, राज्य निशक्त आयुक्त डॉ शिवाजी कुमार, महिला विकास निगम के परियोजना निदेशक अजय कुमार श्रीवास्तव, समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक रमेश झा, उप निदेशक मंजीत कुमार और रंजीत आदि मौजूद रहे।