-एनएमसीएच सहित कई हॉस्पिटल्स में बढ़ाए गए बेड

PATNA: बिहार में कोरोना संक्रमण का कहर जारी है। एक लाख से अधिक एक्टिव केसेज हैं और हॉस्पिटल में पेशेंट की संख्या इतनी हो गई है कि कहीं बेड नहीं मिल रहा है। हर हॉस्पिटल में बेड की संख्या बढ़ाई गई है। लेकिन उसके अनुसार डॉक्टरों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। जबकि लगभग दस से 12 प्रतिशत डॉक्टर्स संक्रमित होने के कारण डयूटी पर नहीं है। राज्य सरकार की ओर से कोई स्पष्ट आदेश नहीं आया है। हां, फ्राइडे को सरकार की ओर से मेडिकल कॉलेजों में विभागों के 75 परसेंट बेड कोविड के लिए डेडिकेट करने का निर्देश मिला है। जबकि सीमित संख्या में डॉक्टर्स रात-दिन डयूटी पर जुटे हैं।

इसलिए चाहिए डॉक्टर्स

कोविड पेशेंट को केवल क्लिनिकल साइट के डॉक्टर्स देखते हैं। जिनकी संख्या हर जगह 45 से 50 प्रतिशत है। बाकी रजिस्ट्रेशन, जांच और सब ऑर्डिनेट का काम करते हैं। वहीं, एनएमसीएच के नोडल अफसर डॉ अजय कुमार सिन्हा ने कहा कि कोविड के पहले साल में 80 परसेंट पेशेंट सामान्य रूप से जल्दी ठीक होकर लौट जाते थे। लेकिन अभी अधिकांश क्रिटिकल पेशेंट आ रहे हैं।

अभी केवल अस्थायी बहाली

उल्लेखनीय है कि कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए राज्य सरकार डॉक्टरों की नियुक्ति जल्द ही करेगी। लेकिन इस मामले को लेकर सरकार का लचर रवैया है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार कोरोना को लेकर साल भर के लिए अस्थायी बहाली निकाली जाएगी। इसमें लगभग तीन हजार एमबीबीएस डॉक्टर्स और करीब इतना ही आयुष डॉक्टरों को बहाल किया जाएगा। अभी स्थायी बहाली का कोई आदेश या रूपरेखा नहीं है।

अभी डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के विषय में कोई प्रस्ताव नहीं है। कोरोना हॉस्पिटल में क्लिनिकल और नॉन क्लिनिकल डॉक्टर्स ड्यूटी कर रहे हैं।

-डॉ सीएम सिंह, मेडिकल सुपरिटेंडेंट एम्स

अभी समस्या पेशेंट की संख्या के साथ ही क्रिटिकल स्टेज की भी है। कई बुजुर्ग डॉक्टर भी वार्ड में जा रहे हैं। वर्तमान स्ट्रेंथ पर ही काम करना पड़ रहा है।

-डॉ अजय सिन्हा, नोडल ऑफिसर एनएमसीएच

अभी बेड की संख्या बढ़ाने पर जोर है। सरकार के आदेश के अनुसार अब सभी विभागों में मौजूदा बेड का 75 प्रतिशत कोविड वार्ड में शामिल होगा।

-डॉ विद्यापति चौधरी, प्रिंसिपल पीएमसीएच