PATNA / BEGUSARAI : कभी बेगूसराय जिला को मिनी मास्को कहा जाता था। तब यहां वामपंथियों की तूती बोलती थी। भूमि आंदोलन से लेकर जनता के अन्य मुद्दों पर भी वामपंथियों द्वारा यहां जीवंत आंदोलन चलाया जाता रहा है। जिला के मिनी मास्कों कहे जाने का एक और वजह यहां से विधानसभा चुनाव में वामपंथियों की लगातार उपस्थिति दर्ज करना भी रहा है। यहां वामपंथियों की इतनी मजबूत स्थिति थी कि लालू प्रसाद के साथ गठबंधन में लड़े चुनाव में जिला के सभी सातो विधानसभा सीट पर गठबंधन ने कब्जा किया था। परंतु विधानसभा चुनाव ख्0क्भ् के चुनाव परिणाम ने जिला में वामपंथ का इतिहास बदल दिया।

करीब म्0 साल बाद यहां की यह स्थिति बनी है कि जिला से वामपंथी क्लीन बोल्ड हो गए हैं। इस चुनाव में उनका खाता भी नहीं खुल सका। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव ख्0क्0 में यहां के बछवाड़ा विधानसभा से भाकपा प्रत्याशी अवधेश राय ने पूरे बिहार में अकेले जीत दर्ज किया था। वामपंथ के चुनावी इतिहास की मानें तो वर्ष क्9भ्म् में यहां से पहली बार कामरेड चन्द्रशेखर सिंह ने विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज की थी।

यहां से एक दर्जन से अधिक सिर्फ भाकपा विधायकों ने विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज की। जिसमें सूर्यनारायण सिंह, रामचन्द्र पासवान, देवकीनंदन सिंह, सुखदेव महतो, राजेन्द्र राजन, राजेन्द्र प्रसाद सिंह, शकुन्तला देवी, शिवदानी सिंह, सीताराम मिश्र, अयोध्या महतो, रामविनोद पासवान आदि शामिल रहे हैं। इसके अलावा माकपा के वासुदेव सिंह, राजेन्द्र प्रसाद सिंह आदि ने भी जिला से वामपंथी उम्मीदवार के रुप में अपनी उपस्थिति दर्ज की थी। परंतु वर्ष क्9भ्म् के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, जिसमें किसी भी वामपंथी उम्मीदवार ने अपनी जीत दर्ज करने में सफलता हासिल नहीं की। जबकि इस चुनाव में सभी वामपंथी दल मिलकर चुनाव लड़ रहे थे।