- 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए राज्य योजना का उद्व्यय- 228452 करोड़

- 2015-16 में राज्य को 11561.59 करोड़ कम राशि प्राप्त हुई

- स्टोरेज का क्विक ग्रोथ रेट 2015-16 में -4.43 पर पहुंचा

- राज्य सरकार का दावा 14वीं वित्त आयोग में राज्य को 8931.59 करोड़ कम राशि प्राप्त हुई

- केन्द्र प्रायोजित योजना में राज्यांश के पैटर्न में परिवर्तन के कारण 2015-16 में 4508.63 करोड़ रुपए का भार पड़ा है

PATNA : वर्ष ख्0क्भ्-क्म् के लिए केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के बारे में बिहार के आंकड़े चौकाने वाले हैं। जहां ख्0क्ब्-क्भ् में राज्य का प्रोविजनल जीडीपी क्फ्.0ख् प्रतिशत रहा वही ख्0क्भ्-क्म् के क्विक इस्टीमेट में घटकर 7.क्ब् प्रतिशत रह गया। सूचना भवन में आयोजित कांफ्रेंस में विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा और योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव डा। दीपक प्रसाद व सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि इस आंकड़े को लेकर सीएसओ से बात होगी। आखिर किस आधार पर ये आंकड़े जुटाए गए। इसकी जानकारी ली जायेगी। जानकारी हो कि सीएसओ चार स्तर पर आंकड़े जारी करता है। पहले एडवांस, फिर क्विक, इसके बाद प्रोविजनल और अंत में फाइनल आंकड़े.अभी तक वर्ष ख्0क्ब्-क्भ् के फाइनल आंकड़े नहीं आए हैं।

हैरान कर रहे आंकड़े

सीएसओ के क्विक इस्टीमेट के जो आंकड़े हैं, वह अप्रत्याशित रूप से हैरान करने वाले हैं। यह बात विकास आयुक्त व योजना विभाग के प्रधान सचिव ने कहा। बताया कि टर्सरी सेक्टर के आंकड़े सबसे अधिक चौंका रहे हैं। इस सेक्टर के आंकड़े सीएसओ खुद जुटाता है। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के क्षेत्र में ख्0क्ब्-क्भ् के प्रोविजनल आंकड़े से-फ्.98 प्रतिशत की कमी दिखायी गयी है जबकि इस क्षेत्र में किसी तरह की कमी नहीं हुई है। यही हाल एयर ट्रांसपोर्ट क्षेत्र का भी है। इस बार एक तब्दीली हुई है कि इस वर्ष ख्0क्क्-क्ख् के स्थिर मूल्य को आधार माना गया है जबकि इसके पहले ख्00ब्-0भ् को आधार वर्ष माना जाता रहा है।

राज्य को ब्भ्08 करोड़ का नुकसान

केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत केंद्रांश और राज्यांश के पैटर्न में हुए बदलाव की वजह से वर्ष ख्0क्भ्-क्म् में बिहार को ब्भ्08.म्फ् करोड़ रुपये का आंतरिक भार पड़ा है। वर्ष ख्0क्म्-क्7 में यह भार बढ़कर ब्9क्7.87 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा व योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव डा। दीपक प्रसाद ने सीएसओ के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा। डा। दीपक प्रसाद ने बताया कि वित्त आयोग के फार्मूले की वजह से बिहार को बड़ा नुकसान हो रहा है।

क्क्भ्ख्म्.ब्क् करोड़ कम मिले

वर्ष ख्0क्भ्-क्म् में क्ब् वें वित्त आयोग की अनुशंसा के तहत बिहार को 89फ्क्.भ्9 करोड़ रुपये कम मिले हैं। वहीं केंद्र प्रायोजित योजनाओं की स्थिति यह है कि केंद्र सरकार के पुराने पैटर्न के आधार पर ख्0क्भ्-क्म् में बिहार को ख्7ब्9ब् करोड़ रुपये मिलने का अनुमान था। यह अनुमान ख्0क्ब्-क्भ् में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए प्रावधान की गयी राशि में क्0 प्रतिशत जोड़कर था। पर ख्0क्भ्-क्म् में केंद्र सरकार से मात्र क्भ्9फ्ख्.ब्क् करोड़ रुपये मिले। यानि क्क्भ्ख्म्.ब्क् करोड़ करोड़ कम मिले। वर्ष ख्0क्भ्-क्म् में बजट प्रावधान ख्0007ब्.म्ब् करोड़ रुपये था केंद्र प्रायोजित योजनाओं का और मिले क्भ्9फ्ख्.ब्क् करोड़ जबकि खर्च क्भ्क्8ब्.7फ् करोड़ रुपये हो चुके हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर के खर्च में बढ़ोतरी

योजना विभाग के प्रधान सचिव ने योजना खर्च की जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष ख्0क्भ्-क्म् के लिए स्वीकृत योजना राशि भ्7क्फ्7.म्ख् करोड़ के विरुद्ध खर्च भ्ब्म्भ्8.8क् करोड़ रुपए हुआ, जो 9भ्.म्म् प्रतिशत है। ख्00ब्-0भ् की तुलना में ख्0क्म्-क्7 में आधारभूत संरचना के क्षेत्र में ख्क् गुना तथा सामाजिक प्रक्षेत्र में ख्7 गुना योजना उद्व्यय की बढ़ोतरी हुई है। खर्च का आंकड़ों के मुताबिक दस अगस्त तक शिक्षा विभाग ने क्म्.7क् प्रतिशत, स्वास्थ्य विभाग ने ख्.फ्म्, समाज कल्याण ने भ्.क्ब्, अल्पसंयक कल्याण ने क्ख्.ख्7, पथ निर्माण ने फ्7.ख्0, ग्रामीण विकास ने 8.क्म्, ग्रामीण कार्य ने ख्ब्.88 व नगर विकास एवं आवास विभाग ने ख्0.भ्क् प्रतिशत खर्च किए हैं। उन्होंने बताया कि छठी आर्थिक गणना का काम पूरा कर लिया गया है। इस गणना के आधार पर ख्00भ् की तुलना में बिहार में उद्यमियों की संया में ब्0.08 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।