-सेंट्रल गवर्नमेंट ने सौंपा प्रोजेक्ट

PATNA : मानसून के समय ईस्टर्न गंगेटिक प्लेन (गंगा नदी के पूर्व में स्थित मैदानी इलाके) में सूखे का प्रकोप हर वर्ष जारी रहता है। इनमें बिहार के भी कई जिले शामिल हैं। ऐसी स्थिति तब पैदा होती है, जब वर्षा सामान्य से बहुत कम होती है। मिट्टी में नमी की मात्रा काफी कम होने के कारण पैदावार पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण में हुए उथल-पुथल के कारण वर्षा कम होती है, जिससे गंगा के मैदानी इलाकों में फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। पैदावार में भी काफी गिरावट आती है। बिहार के कई जिलों में मानसून में उथल-पुथल के कारण भयंकर सुखे की स्तिथि पैदा हुई है। इससे राज्य एवं केंद्र सरकार काफी चिंतित हैं। मानसून में कमी और उससे होने वाले सूखे के कारकों का अध्ययन करने के लिए और समाधान को ढूढ़ने के लिए भारत सरकार के साइंस व टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने सीयूएसबी के सेंटर फॉर इनवायर्रमेंटल साइंस के हेड डॉ प्रधान पार्थसारथी को शोध प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय अनुदान प्रदान किया है। डॉ सारथी क्लाइमेंट व इन्वायरमेंट से सम्बंधित सरकार के कई समितियों के सदस्य हैं। वे इंडियन मेट्रोलॉजिकल सोसाइटी पटना के सेक्रेटरी, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सलाहकार एवं बिहार राज्य एक्शन प्लान आदि में भी शामिल हैं।

समर ट्रेनिंग में जाएंगे 11 स्टूडेंट्स

PATNA : सेंट्रल यूनिविर्सिटी ऑफ साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के क्क् स्टूडेंट्स समर इंटर्नशिप के लिए लिए देश के दो प्रीमियर इंस्टीच्यूट्स में मौका मिला है। इन्हें इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी, नई दिल्ली एवं सेंटर फोर सेलूलर एण्ड माल्यूलर बायोलाजी हैदराबाद शामिल हैं। इनमें अममरीन फातिमा, आदित्य त्रिपाठी, दिव्या कुमारी, रीना कुमारी, रेणु कुमारी सतीश कुमार, तुलिका, विवेक कुमार, फौजिया परवीन, जेवा रिजवी, एवं एन अजाजी समर इंटर्न में हिस्सा लेंगे।