पटना (ब्यूरो)। धर्म मन की सरलता, चित्त की निर्मलता और हृदय की पवित्रता में रहता है। इसलिए धर्म वर्तमान है। वर्तमान जीतता है, अतीत हारता है। धर्म से जीवन में परिवर्तन और बदलाव आता है। जब कोई धार्मिक या धर्मात्मा व्यक्ति समाज में पैदा होता है तो पन्थ, परम्परा और सम्प्रदाय से संघर्ष करता है। धर्म- दीपक की लौ है, ज्योति है। पन्थ, परम्परा और सम्प्रदाय दीया की भान्ति है। जैसे ज्योति बुझने के बाद जो हाल दीया का होता है, वही हाल चेतना के मुक्त होने के बाद पन्थ, परम्परा और सम्प्रदाय का होता है। शरीर दीया है - आत्मा ज्योति है। चेतना में जब धर्म प्रकट होता है, तब अङ्क्षहसा, करुणा, मैत्री, दया, परोपकार का जन्म अपने आप हो जाता है। उक्त बातें आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज ने पावापुरी पहुंचने पर कही। आचार्य ने कहा कि जब तक तेरे मेरे का भाव समाप्त नहीं होता या जब तक मन, धर्म के प्रति संदेह से भरा है, तब तक तुम्हारे भीतर श्रद्धा, विश्वास, आस्था के अंकुर नहीं आ सकते। ना जन्म मरण का नाश हो सकता। इसलिए पन्थ, परम्परा और सम्प्रदाय के कटघरे से बाहर निकलो और वीतराग धर्म का दामन संभालो, फिर देखो जीवन का विकास और धर्म करने का आनंद कितना सुन्दर होता है।

जन-जन के भगवान

तीर्थंकर महावीर स्वामी सिर्फ जैनों के ही नहीं बल्कि जन-जन के भगवान है। जिन्होंने हर धर्म के लोगों के लिए सत्य, अङ्क्षहसा, जियो और जीने दो का संदेश देकर सभी का मार्ग प्रशस्त किया है। वहीं जैन साधु-साध्वीयों का 8 च्पच्छी ससंघ राजगिरी से मंगल विहार कर रविवार को प्रात: बेला में जैन धर्म के अंतिम 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की निर्वाण स्थली सिद्ध क्षेत्र पावापुरी पहुंचा। जहां उन्होंने मोक्ष स्थली जलमंदिर, समवशरण मंदिर और मूलनायक दिगम्बर जैन मंदिर में दर्शन ध्यान किया।

विशेष पूजा-अर्चना संपन्न

इस अवसर पर दिगम्बर जैन मंदिर में जैन श्रद्धालुओं ने आचार्य महाराज के मंगल सानिध्य में भगवान महावीर का अभिषेक, शांतिधारा व विशेष पूजा-अर्चना कर धर्म लाभ लिया। साथ ही जैन संतों के पावन सानिध्य में श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान का आयोजन श्रद्धा-भक्ति के साथ किया गया। गुरुभक्त प्रवीण जैन ने बताया कि आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महामुनिराज के नेतृत्व में उत्तरप्रदेश के इटावा स्थित अङ्क्षहसा तीर्थ से शुरू हुआ यह अङ्क्षहसा पदयात्रा झारखण्ड के शाश्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी पहुंचकर सम्पन्न होगी।