पटना(ब्यूरो)। पटना में स्कूली बच्चों के लिए ट्रांसपोर्टेशन बड़ी समस्या है। इसे लेकर हर दिन पैरेंट्स सबसे ज्यादा परेशान होते है। अपने लाड़ले की सुरक्षा को लेकर नादानी भी वही कर जाते हैं। पैरेंट्स हेलमेट और ट्रैफिक सुरक्षा के मानकों के प्रति अवेयर नहीं हैं। एक आंकलन के अनुसार, करीब 35 से 40 हजार बच्चे बाइक और स्कूटी से घर तक पहुंचते हैं। इसमें भी करीब तीस प्रतिशत पैरेंटस खुद स्कूल लाते और घर लेकर जाते हैं। बाकी 70 प्रतिशत में बड़े बच्चे खुद स्कूल तक सफर करते है। बच्चे ट्रिपल लोडिंग करते हैं। लहरिया भी चलाते हैं। ये सभी हरकत एक्सीडेंट की वजह बन सकती है। पेश है रिपोर्ट।

अलग स्पॉट, एक तस्वीर
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने इंटरनेशन स्कूल, पाटलिपुत्रा, लोयला हाई स्कूल, नोट्रेडेम एकेडमी और संत माइकल के पास पहुंच मौके का जायजा लिया। इसमें पाया गया कि अधिकांश् बच्चे हेलमेट नहीं लगाए थे। सिर्फ यही नहीं, वे बच्चों को अपने से आगे की सीट पर बैठा कर ले जा रहे थे। दीघा, कुर्जी और पाटलिपुत्र कॉलोनी के स्कूलों के पास ऐसी ही तस्वीर दिखी।

शौक पड़ सकता है भारी
बड़े स्कूली बच्चे जो कि स्कूटी या बाइक से आते -जाते हैं । बाइक से स्कूल आने वाले बच्चे लहरिया कट चलाते हुए आते हैं। इन्हें ट्रिपल लोडिंग के साथ सफर करते हुए देखा जा सकता है। सरप्राइज चेकिंग की नौबत पर ्रैफिक पुलिस की सख्ती से बचने के लिए लहरिया से कट निकल जाते हैं

दीघा में ज्यादा असर
वैसे तो बड़े बच्चों को जो कि कम से कम आठवीं या इससे ऊपर के क्लास में होते हैं उन्हें पैरेंट्स स्कूटी आदि उपलब्ध करा देते है। वे स्कूल आने-जाने के लिए इसका प्रयोग तो करते हैं । लेकिन हेलमेट है या नहीं। बच्चे क्या सेफ ड्राइविंग कर रहे है? इन सभी बातों को क्लैरिटी नहीं होती है। पैरेंट्स इन संवेदनशील बातों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। कुर्जी मोड से आगे दीघा व अन्य इलाकों में जाने वाले रूट्स की पड़ताल करने पर पाया गया कि बच्चे मनमानी करते हुए स्कूल से घर जा रहे हैं।

हेलमेट नहीं लगाया
इंटरनेशनल स्कूल क्लास सिक्स का छात्र सोनू अपने घर मैनपुरा के लिए लौट रहा है और उसने हेलमेट नहीं लगाया है। पूछे जाने पर बताया कि अभी तो वह गाड़ी चला लेता है, लेकिन हेलमेट लगाने की आदत नहीं रही है। एक छात्र और बैठेगा। यदि हेलमेट लगाएं तो उसे भी हेलमेट देना होगा। जबकि एक ही हेलमेट मेेरे पास है। इसी प्रकार, लोयला हाई स्कूल, कुर्जी के पास क्लास एट का छात्र रोनित कुमार का कहना है कि अभी मैं बोरिंग रोड जा रहा हूं। शार्ट डिस्टेंस के लिए हेलमेट लेना अच्छा नहीं लगता है। जल्द ही पहुंच जाउंगा। यह कहते हुए वह बोरिंग रोड की ओर निकल पड़ा।

चेंकिंग का खौफ
पटना में बीते दो साल में हेलमेट चेकिंग को एक अभियान के तौर पर चलाया गया है। इससे जहां छोटे और बड़े बच्चे अवेयर हो गए हैं, वे इसे आदत के रूप में अपना चुके हैं। खास तौर पर अटल पथ क्रासिंग के पास ट्रैफिक पुलिस की कड़ी चेकिंग होती है। हेवी फाइन किया जाता है। यही वजह है कि पैरेंट्स से लेकर छोटे बच्चों तक चेकिंग का खौफ हो गया है।

गलियों से निकल लेते हैं
बच्चें इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ होते है कि चौक-चौराहों पर चेकिंग है, फाइन होगा। इससे बच निकलने के लिए बच्चे शार्टकट अपनाते हैं और गलियों में ही अपनी स्कूली निकाल लेते हैं। फेयरफिल्ड कॉलोनी से लेकर संत माइकल वाले हिस्से में कई बच्चे ऐसे ही चौक -चौराहों पर जाने से बचते हुए निकल लिये। लेकिन ऐसा करने से खतरा कम नहीं होता है।