- एनआईटी पटना में वाटर एंड हाइजीन विषय पर वेबिनार में बोले एक्सपर्ट

- शहरों में डिसेंट्रलाइज वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट पर भी दिया जोर

श्चड्डह्लठ्ठड्ड@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

क्कन्ञ्जहृन् :

कोविड-19 के दौर में वाटर एंड सैनिटेशन का विषय और महत्वपूर्ण हो गया है। कोविड-19 महामारी काल ने बचाव के कई उपायों के साथ हमें यह भी सिखाया की पानी को स्वच्छ रखना है ताकि पर्सनल हाइजीन और हेल्थ को लेकर कोई परेशानी न हो। इसलिए क्लीन वाटर एंड सैनिटेशन की महत्ता बढ़ गई है। ये बातें एनआईटी पटना में वॉटर एंड सैनिटेशन फॉर ऑल टॉपिक पर इंडियन वाटर व‌र्क्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश्वरसिंह ने कही। उन्होंने क्लीन वाटर और हाइजीन के लिए विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इससे पूर्व वेबिनार के विषय के बारे में एनआईटी पटना के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के एचओडी प्रोफेसर एसएस मिश्रा ने विस्तार से जानकारी दी और गेस्ट वक्ताओं का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के डॉक्टर एनएस मौर्य ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस वेबिनार में देश भर से 150 लोगों ने पाíटसिपेट किया। इसका आयोजन इंडियन वाटर व‌र्क्स एसोसिएशन पटना सेंटर सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग इंजीनियर इंडिया और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

बहुत पानी होने पर भी समस्या

इंस्टीट्यूट आफ इंजिनियर्स इंडिया के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह ने पीने के पानी की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की कमी और पानी को विभिन्न रूपों में प्राप्त करने को सुनियोजित ढंग से काम करना चाहिए। पहाड़ी इलाकों में वृक्षारोपण को अधिक से अधिक महत्व दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे ऐसे क्षेत्रों में कटाव को रोकने में मदद मिलेगी साथ ही पौधे वाटर रिचाìजग का भी काम करते रहेंगे। इसके अलावा न्यायपूर्ण ढंग से पानी का प्रयोग करते हैं। इसी कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।

बिना पानी बचाए सस्टेनेबल गोल अधूरा

वेबिनार के दौरान सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम के अध्यक्ष एके सक्सेना ने बताया कि यूनाइटेड नेशंस की ओर से मिलेनियम डेवलपमेंट गोल में तमाम बातों की चर्चा है। इनमें शुद्ध पानी और बेहतर पर्यावरण के लिए मिलेनियम डेवलपमेंट गोल को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए। वहीं प्रियंका ने जमवाल जल, भूमि और समाज कार्यक्रम की ओर से बोलते हुए बैंगलोर के केस स्टडी पर बात की। बताया कि एक जमाने में यह शहर झीलों से भरा पड़ा हुआ था, लेकिन आज यहां चारों ओर गंदगी काफी बढ़ चुकी है। इस स्थिति में बदलाव के लिए डिसेंट्रलाइज वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट की जरूरत है। ऐसे तमाम और भी शहर जहां आबादी अधिक है और पानी का भी अधिक प्रयोग हो रहा है वहां डिसेंट्रलाइज्ड वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट ही समाधान है।

सफल रहा आयोजन

एनआईटी पटना के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर विवेकानंद सिंह ने वेबिनार आर के आयोजन को सफल बताया। उन्होंने कहा कि इसमें देश भर से डेढ़ सौ से अधिक लोग पाíटसिपेट कर लाभान्वित हुए। विशेष तौर पर इंडियन वाटर व‌र्क्स एसोसिएशन, सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम, इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग आदि सभी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया .कुल मिलाकर हेल्थ वाटर एंड वॉटर पुरीफिकेशन से जुड़े हुए विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।