पटना (ब्यूरो)। पटना नगर निगम की नजर में केवल वीआईपी इलाके के लोगों को ही बेहतर सफाई की जरूरत है। इन इलाकों में अत्याधुनिक स्वीपिंग मशीन और वाटर टैंक से सड़कों की सफाई हो रही है। जबकि अन्य इलाके में सफाई की सामान्य व्यवस्था है।

संसाधन का आभाव
कॉलोनियों में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाव होता है और सड़क की सफाई की मैनुअली व्यवस्था की जाती है। सफाई की व्यवस्था में काफी अंतर है। नगर निगम के अधिकारी भी साफ कहते हैं कि उनके पास बेहतर सफाई के लिए संसाधन का अभाव है। इसलिए वे वार्ड के कॉलोनियों में वह सुविधा नहीं दे पा रहे हैं। आधुनिक मशीनों से केवल वीआईपी इलाकों में सफाई की जा रही है।

कई मशीनें धूल फांक रहीं
इटली और तुर्की से करोड़ों रुपए की अत्याधुनिक सफाई मशीनें सड़कों की सफाई के लिए खरीदी गई थीं। मेंटेनेंस के अभाव में कई मशीनें बांकीपुर में ही धूल फांक रही हैं। ये बेहद कीमती मशीनें थी, जो कि एएमसी के अभाव में महीनों से खराब ही पड़ी है। इसलिए सड़कों की सफाई के लिए भी गाडिय़ों की संख्या सीमित है। वाटर स्प्रिंकलर टैंक का प्रयोग भी सीमित इलाकों में ही हो रहा है।

6 स्वीपिंग मशीनें आएंगी
पटना नगर निगम बोर्ड की बैठक में छह स्वीपिंग मशीनों की खरीद के लिए मेयर की ओर से मामला उठाया गया है। बैठक में इसकी खरीद का प्रस्ताव पास कर दिया गया है। अब अगले स्टेप में निगम कमिश्नर के स्तर पर इसे पास किया जाना बाकी है। इसके बाद नई स्वीपिंग मशीन उपलŽध हो जाएगी।

यहां मशीन से सफाई
रात के समय स्वीपिंग मशीनें बेली रोड, इको पार्क के आसपास, स्ट्रैंड रोड, राजभवन के आसपास, अणे मार्ग, देशरत्न मार्ग, अटल पथ, एयरपोर्ट रोड, कंकड़बाग मेन रोड आदि इलाकों में ही चलाई जा रही है। वाटर स्प्रिंकलर टैंक से सड़कों की धुलाई भी इन्हीं इलाकों में की जा रही है। जबकि अन्य इलाके में इसकी व्यवस्था नहीं है।

इसलिए जरूरी है ये मशीनें
पटना देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। अधिक प्रदूषण के प्रमुख कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुंआ और पीएम 2.5 धूलकण शामिल हैं। इसके असर को कम करने और गहन सफाई करने के लिए सड़क पर स्वीपिंग मशीनों का प्रयोग किया जाता है। यह पटना समेत देश के प्रमुख शहरों में प्रयोग किया जा रहा है। वातावरण में इसके प्रभाव को न्यूनतम स्तर पर रखनें में स्वीपिंग और वाटर स्प्रिंकलर टैंक का महत्वपूर्ण योगदान हैं।

हाल वार्डों का
विभिन्न वार्ड में सफाई के लिए अलग-अलग छोटी- बड़ी गाडिय़ां हैं। इसकी कैपेसिटी और जरूरत के हिसाब से इसका प्रयोग किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार एक वार्ड में औसतन पांच गाड़ी डोर -टू -डोर कूड़ा उठाव के लिए, दो टीपर, करीब तीन गाड़ी हवा-हवाई वाली उपलŽध है। मेयर पटना सीता साहू ने बताया कि स्वीपिंग मशीन की गाडिय़ां और वाटर स्प्रिंकलर बहुत कम हैं। जिससे फिलहाल वीआईपी इलाकों की ही सफाई हो रही है।