- थैलेसीमिया पेशेंट के लिए नहीं मिल रहा ब्लड

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क्कन्ञ्जहृन् :

थैलेसीमिया के पेशेंट्स की मुसीबत डे केयर बन जाने के बाद भी कम नहीं हुई। पीएमसीएच में खास तौर पर इन पेशेंट्स के लिए डे केयर की सुविधा की शुरुआत लगभग 3 महीना पहले ही शुरू की गई थी। मकसद था 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के सभी थैलेसीमिया पेशेंट्स को बिना किसी शुल्क के ब्लड चढ़ाने की सुविधा मिलना। लेकिन फिलहाल यह सुविधा नहीं मिल रही है। पेशेंट की शिकायत है कि सभी समस्याएं पीएमसीएच के स्तर से है। यहां से हर दिन कई पेशेंट लौट रहे हैं और उनकी शिकायत है कि कोरोना काल में उन्हें ब्लड चढ़ाने और दवा दिए जाने की बजाय कभी मेडिसिन वार्ड तो कभी टाटा वार्ड के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। पूरे बिहार में करीब 7000 से अधिक ऐसे पेशेंट है जिन्हें हर 15 दिन पर ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।

जो एडमिट होगा केवल उसकी केयर होगी

पटना मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर विद्यापति चौधरी ने इस संबंध में बताया कि सभी पेशेंट्स को नि:शुल्क ब्लड चढ़ाने की व्यवस्था नहीं की जा सकती। जो पेशेंट यहां एडमिट होंगे उनका केयर होगा, जांच किया जाएगा और ब्लड भी चढ़ाया जाएगा। सभी के लिए यह सुविधा नहीं मिल सकती। जबकि दूसरी ओर तथ्य यह है कि बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति ने पूरे प्रदेश में डे केयर सेंटर केवल पीएमसीएच में खोला है और इसका मकसद 16 वर्ष तक के ऐसे सभी पीडि़त बच्चों को नि:शुल्क दवा और ब्लड चढ़ाए जाने की व्यवस्था करनी है। लेकिन अब पीएमसीएच प्रशासन इस बात से इनकार कर रहा है।

क्या है डे केयर सेंटर

विगत 14 जुलाई 2020 को गायनी विभाग के चौथे तल्ले पर डे केयर सेंटर शुरू किया गया। यहां इसके संचालन का जिम्मा पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट को सौंपा गया । यहां बच्चों के खेलने कूदने और उन्हें घर जैसा माहौल देते हुए थैलेसीमिया के समुचित केयर की व्यवस्था की गई। यह व्यवस्था अब आपसी को-आíडनेशन के अभाव में कमजोर पड़ चुका है। स्वास्थ समिति के द्वारा इस सेंटर के बेहतर संचालन के लिए डेडीकेटेड हेल्थ वर्कर्स की नियुक्ति की बात भी हो रही थी।

बातें हवा हवाई रह गई

डे केयर सेंटर में बिना किसी और सुविधा के हर थैलेमिक पेशेंट को समुचित इलाज का अवसर मिले इस उद्देश्य से यहां ऐसे सभी पेशेंट्स के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था शुरू करने की बात राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से की गई थी। लेकिन सेंटर खोलने के लगभग 3 माह बीत जाने पर भी इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। हर पेशेंट्स को बार-बार अपने बारे में जानकारी देनी पड़ती है। इसके बाद भी उन्हें उनकी जरूरत का पूरा डोज नहीं मिल पाता है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने ऐसे पेशेंट से भी बातचीत की जिसमें उन्होंने यहां जरूरत के मुताबिक दबाए ना मिलने और ब्लड नहीं चढ़ाया जाने वह लौटा दिए जाने की बात कही।

आदेश आया, अनुपालन नहीं हुआ

हाल ही में ऐसे पेशेंट्स जिनकी उम्र 16 वर्ष से अधिक है उन्हें भी इसका लाभ मिले, इसके लिए काफी जद्दोजहद के बाद और पेशेंट की समस्या सुनने पर राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से नियमों में बदलाव करते हुए 16 वर्ष से अधिक उम्र के पेशेंट के लिए भी पीएमसीएच में दवा लेने व ब्लड चढ़ाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इसका अनुपालन होता नहीं दिख रहा। थैलेसीमिया पेशेंट प्रियंका मिश्रा ने इस बात को लेकर दुख व्यक्त किया।

हर 15 दिन पर चढ़ाना होता है ब्लड

थैलेसीमिया ब्लड डिसऑर्डर है और इस बीमारी में पेशेंट को हर 15 दिन पर अपना ब्लड चढ़ाना पड़ता है। लेकिन पूरे प्रदेश में अभी भी इसके लिए डेडीकेटेड व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा ब्लड चढ़ाया जाने के दौरान ऐसे पेशेंट के शरीर में आयरन की मात्रा काफी बढ़ जाती है। जिससे दूसरे अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके लिए काफी महंगी दवाइयां भी इन्हें लेना पड़ता है, लेकिन पीएमसीएच के डेयर में फिलहाल यह सुविधा समुचित रूप से नहीं मिल रही।