पटना (ब्यूरो)। जीवन में सफल होने के लिए हर क्षेत्र में अनुशासन जरूरी है, आचरण एवं क्रियाकलापों से यह परिलक्षित होना चाहिए कि आपने एक प्रतिष्ठित संस्थान में विद्यार्जन किया है। अनुशासन के बगैर कुछ भी संभव नहीं है। अनुशासन का अर्थ बंधन नहीं, बल्कि मर्यादा होता है और हमें इसका पालन करना चाहिए। आपका अनुशासित व्यवहार, बर्ताव, चाल-चलन बता देगा कि आप 106 साल पुराने विश्वविद्यालय के विद्यार्थी हैं। उक्त बातें मंगलवार को पटना विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने दीक्षा भाषण में कही। इसका आयोजन पटना वीमेंस कालेज में अत्याधुनिक वेरानिका आडिटोरियम में किया गया था।
उन्होंने कहा कि उपाधि प्राप्त करने के बाद आपकी जिम्मेवारी बढ़ेगी। अब अकेले निर्णय लेने की क्षमता विकसित करनी होगी। माता-पिता और शिक्षक का मार्गदर्शन कदम-कदम पर नहीं मिलेगा। डिग्री का मतलब यह नहीं कि खुद के लिए काम करना है, बल्कि इसका सही मायने होता है समाज को कुछ न कुछ देना है। कुलपति ने मंच संचालन कर रहे कार्यवाहक कुलसचिव प्रो। खगेंद्र कुमार का नाम अपने संबोधन में लिया, वहीं कुलाधिपति ने कुलसचिव प्रो। रविनंदन नाथ ओझा का नाम लिया।

नौकर बनने के लिए नहीं होनी चाहिए शिक्षा
राज्यपाल ने कहा कि हम वही पढ़ रहे हैं जो अंग्रेजों ने चाहा। गुलामी काल में अंग्रेज, नौकर बनाने के लिए शिक्षा पद्धति लाए थे। इसमें बदलाव की जरूरत है। शिक्षा का उद्देश्य समाज एवं देश की आवश्यकताओं के अनुरूप योग्य नागरिक तैयार करना होना चाहिए। शिक्षा वैसी होनी चाहिए जो हमारे बच्चों को उनके पैरों पर खड़ा होने में मदद करे तथा समाज और देश की मिट्टी से उन्हें जोड़कर रखे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसके अनुरूप है। यह उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम है। मौके पर राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल चोंग्थू, शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव, प्रतिकुलपति प्रो। अजय कुमार ङ्क्षसह, पूर्व कुलपति प्रो। रासबिहारी प्रसाद ङ्क्षसह, पूर्व एमएलसी किरण घई, प्रो। एनके चौधरी, सीआइएमपी के निदेशक प्रो। राणा ङ्क्षसह, सीनेट सदस्य पप्पू वर्मा, डा। नीतीश टनटन आदि मौजूद थे।

दो साल में 1000 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित
कुलपति प्रो। गिरीश कुमार चौधरी ने दीक्षा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि समारोह में एक जनवरी से 31 दिसंबर 2022 तक पीजी, पीजी डिप्लोमा व पीएचडी में उत्तीर्ण लगभग चार हजार छात्र-छात्राओं को उपाधि से अलंकृत किया गया। इसमें सत्र 2019-21 व सत्र 2020-22 में उत्तीर्ण तीन हजार 725 तथा 98 शोध छात्र शामिल हैं। स्नातकोत्तर के दोनों सत्र में कुल 79 गोल्ड मेडल प्रदान किए गए हैं, इनमें से 52 छात्राओं ने प्राप्त किए। उन्होंने कहा कि पटना विश्वविद्यालय को नैक बी प्लस ग्रेड मिला है। इसे ए प्लस करने के लिए सभी स्तर पर काम किए जा रहे हैं। 2019 से अभी तक 1520 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसमें 1000 से अधिक पिछले दो साल में प्रकाशित किए गए हैं।

चुनौती में ही है जीवन का आनंद
दीक्षा समारोह में विशिष्ट आइआइटी पटना के निदेशक प्रो। टीएन ङ्क्षसह ने कहा कि डिग्री प्राप्त करने के बाद चुनौती बढ़ जाती है। चुनौती स्वीकार नहीं करेंगे तो जीवन अर्थपूर्ण नहीं होगा। हमारे दिमाग में यह रहना चाहिए कि हर घर में बिजली, पीने का पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं कैसे सहज तरीके से उपलब्ध हो, हम विचार करेंगे तो आगे बढ़ेंगे और आगे बढ़ेंगे तो मंजिल मिल ही जाएगी। उन्होंने स्टार्टअप और स्वरोजगार की असीम संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला।