पटना (ब्यूरो)। सफलता के रास्ते में एक ही बाधा होती है और वह है नकारात्मक सोच। यदि हौसले बुलंद हो तो शारीरिक अक्षमता भी सफलता की सीढ़ी पर चढऩे से रोक नहीं सकती.हमारे आसपास कुछ लोग इस बात को सच साबित कर न सिर्फ अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं। पटना की 15 वर्षीय छात्रा तनु के साथ साल 2014 में हुई एक दुर्घटना में तनु ने अपने दोनों हाथ गवां दिए थे.बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। 15 वर्षीय तनु पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ खेलकूद में भी दिलचस्पी रखती हैं। तनु वर्तमान समय में मार्शल आर्ट की तैयारी कर रही हैं। तनु कहती है कि सरकार द्वारा महावीर विकलांग मिशन के तहत 400 रुपये मिलते हैं। मैं भविष्य में पढ़ लिखकर जॉब करना चाहती हूं। अपने परिवार की देखभाल करना चाहती हूं। इसके साथ-साथ भारत का नाम रौशन करना चाहती हूं।


मार्शल आर्ट की ले रही ट्रेनिंग
तनु पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ले रही हैं ताकि वह खुद की रक्षा कर सकें। उसने कहा कि उसके हाथ भले ही ना हो पर पैर से वो किसी को भी परास्त कर सकती है.उसने अपने जैसे दिव्यांगों से अपील किया कि आप अपने परिवार पर बोझ नहीं बनें। दिव्यांगता से लड़ें और लड़कर सफलता हासिल करें।


हादसे में गंवा दिए थे दोनों हाथ
तनु कुमारी जब 11 वर्ष की थी तब अपने भाई-बहन के साथ छत पर खेल रही थी। उसी दौरान उसके दोनों हाथ बिजली का करंट लगने से कट गए थे। घटना के बाद छात्रा को पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई कर अपनी पढ़ाई रोकने पड़ी थी। लेकिन उसने भी आम बच्चों की तरह कुछ कर दिखाने की दृढ़ इच्छा जताई। अपने माता- पिता और भाई बहनों के लिए कुछ करने की मन में इच्छा जताते हुए उसने फिर से हाथ नहीं रहने के बावजूद पैर से ही लिखकर पढऩा शुरू किया.आज पांव से ही लिख लेती है और उसे किसी पर डिपेंड रहने की जरूरत नहीं है।

क्या कहते हैं मार्शल आर्ट टीचर
तनु के मार्शल आर्ट टीचर ने बताया कि वह उसे फ्री फंड में मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दे रहे हैं। पढ़ाई के साथ-साथ उसमें मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए इच्छा जताई थी। जिसके बाद समान बच्चे की तरह ही उसके हाथ ना होने के बावजूद भी वह अच्छा प्रदर्शन कर रही है। वह अपने पैर के माध्यम से ही किक मारकर लकड़ी के तख्ते को तोड़ देती है।