-डीएम ने सिविल सर्जन को दिया जांच का आदेश

द्दन्ङ्घन्/क्कन्ञ्जहृन्: लगातार शिकायत मिलने के बाद मंगलवार को गया के डीएम अभिषेक सिंह ने प्रभावती अस्पताल नर्सिग स्कूल में छापेमारी की। छापेमारी में स्कूल के प्रिंसिपल रीतू कुमारी सिन्हा के बैग और टेबल की दराज से एक लाख 54 हजार रुपए जब्त किए गए। राशि कहां से आई, इस सवाल पर प्रिंसिपल डीएम को ठोस जबाव नहीं दे पाई। डीएम के बार-बार पूछने पर प्रिंसिपल ने बताया कि प्रति छात्रा 1700 रुपए प्रति माह मेस संचालन के नाम पर लिया जाता है। इस पर डीएम ने कहा कि यह सरकारी संस्थान है। अगर आप छात्राओं से पैसा लेती हैं, तो उस राशि को बैंक खाते में क्यों नहीं जमा कराया गया? इतनी बड़ी राशि आप अपने पास क्यों रखी हैं? इसका मतलब है कि सरकारी राशि का उपयोग आप निजी जीवन में करती हैं। डीएम ने पूछा कि छात्राओं द्वारा ली गई राशि की रसीद देती हैं? ली गई राशि का कोई लेखा-जोखा स्कूल में नहीं है। यह अनियमितता की श्रेणी में आता है। मामले की जांच का आदेश डीएम ने सिविल सर्जन व वरीय उप समाहत्र्ता को दी।

वसूली की मिली थी शिकायत

इससे पहले डीएम प्रभावती अस्पताल परिसर में संचालित एएनएम प्रशिक्षण संस्थान के क्लास रूम का निरीक्षण किया। जहां प्रशिक्षु एएनएम बैठी थी लेकिन कोई शिक्षिका नहीं थी। प्रिंसिपल कक्ष में चार छात्राएं उपस्थित थीं। उनके कक्ष के दराज से पांच सौ रुपए की एक गड्डी मिली। डीएम को पहले ही किसी ने शिकायत की थी कि परीक्षा, प्रैक्टिकल और एडमिट कार्ड देने के नाम पर हर छात्रा से छह-छह हजार रुपए की वसूली की जाती है। इसी शिकायत पर जांच के लिए डीएम पहुंचे थे। संदेह का दायरा बढ़ने पर वरीय उप समाहर्ता एसपी पांडे को प्राचार्या के कक्ष की सभी अलमारियों को खुलवाकर जांच करने हेतु अधिकृत किया गया। पाया गया कि प्रायोगिक परीक्षा की सूचना 6 दिन पूर्व प्राचार्या को मिली। लेकिन नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक नहीं किया गया था। छात्राओं ने भी बताया कि प्रायोगिक परीक्षा की जानकारी लेने आए हैं। इस पर डीएम ने प्रिंसिपल को फटकार लगाई।

साजिश के तहत फंसाने का आरोप

वरीय उप समाहर्ता पांडे एवं सिविल सर्जन डॉ। राजेंद्र प्रसाद सिन्हा द्वारा एएनएम प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य के कक्ष की अलमारियां खुलवाने पर लगभग एक लाख 54 हजार 120 रुपए कैश मिला। पूछताछ में प्रिंसिपल ने बताया कि यहां 225 छात्राएं स्कूल में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रही है। लेकिन राशि बरामदगी से प्रिंसिपल की क्रियाकलाप संदेह के घेरे में है। फिलहाल 1.54 लाख रुपए को सील कर जिला स्वास्थ्य समिति के लेखा पदाधिकारी को सौंपा गया है। वहीं, प्रिंसिपल ने कहा कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है।