-कोरोना काल में ब्लड डोनर की संख्या घटी, डोनेट करने वाले भी नहीं आ रहे

PATNA: कोरोना की भयावह स्थिति से ब्लड के शार्टेज की समस्या कभी भी गहरा सकता है। इन विकट परिस्थिति ने लोगों का बाहर निकलना मुश्किल कर दिया है। सोशल डिस्टेंसिंग और होम स्टे के प्रति प्रचार और अनुपालन के कारण ब्लड डोनेट करने वाले भी हॉस्पिटल्स तक नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं, जो मदद करने की इच्छा से डोनेट करना चाहते हैं, वे भी कोरोना के भय से हॉस्पिटल्स तक नहीं आ रहे हैं। इससे ब्लड डोनेशन का काम लगभग ठप है। सोशल वर्कर भी बेड व आक्सीजन की व्यवस्था में जुटे हैं। समस्या सरकारी ब्लड बैंक से लेकर प्राइवेट ब्लड बैंक सभी जगह है।

इसलिए गहरा सकता है संकट

एक मई से 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को वैक्सीन देने की तैयारी है। इस बीच नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (एनबीटीसी) के प्रावधानों के अनुसार, भारत में उपलब्ध कोविशिल्ड या कोवैक्सीन, दोनों में से कोई भी टीका लेने के बाद 28 दिनों तक कोई व्यक्ति ब्लड डोनेशन नहीं कर सकता है। टीका लेने के 70 दिनों तक संबंधित व्यक्ति ब्लड डोनेशन नहीं कर सकता है। काउंसिल की ओर से ऐसी परिस्थिति में ब्लड के एक्यूट शार्टेज को लेकर अलर्ट किया गया है।

नियमित ब्लड डोनेशन जरूरी

किसी ब्लड डोनेशन को होल ब्लड के तौर पर अधिकतम 42 दिन तक छह डिग्री पर स्टोर किया जा सकता है। जबकि प्लाज्मा फ्रीजर में एक साल तक स्टोर हो सकता है। प्लाज्मा भी ब्लड डोनेशन से ही अलग किया जाता है। एक्सपर्ट की माने तो कोरोना के तुरंत बाद अचानक से जनरल ऑपरेशन सहित अन्य जरूरी मेडिकल प्रासीजर में ब्लड की जरूरत पडे़गी। जबकि पहले से नियमित डोनेशन नहीं होने से स्टॉक लगभग नहीं के बराबर है। ऐसी स्थिति में नियमित ब्लड डोनेशन जरूरी है।

बेहतर है कि वैक्सीन लेने से पहले ही डोनेशन किया जाए। 18 से 65 वर्ष के स्वस्थ्य व्यक्ति ब्लड डोनेट कर सकते हैं। सामान्य दिनों में रोज 45 से 50 लोग ब्लड देते थे, ये अभी बंद है।

-डॉ नेहा सिंह, ब्लड ट्रांसफ्यूजन ऑफिसर ,एम्स