PATNA: राज्य की मेडिकल सिस्टम की लचर हालत को सुधारने की कवायद के तहत उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने रविवार को जहां सभी मेडिकल कॉलेजों में आई बैंक बनाने की बात कही वहीं सरकार ने दूसरी ओर सभी सरकारी अस्पतालों में खराब पड़े उपकरणों के लिए वहां के अधीक्षक को जिम्मेदार बताया और तत्काल उसे दुरुस्त कराने के निर्देश दिए।

9 मेडिकल कॉलेज में आई बैंक

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने रविवार को दधीचि देहदान समिति की ओर से 'अन्तरराष्ट्रीय अंगदान दिवस' पर आयोजित संकल्प संभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य के सभी 9 मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में दशहरा तक आई बैंक की स्थापना की जाएगी और वहां प्रशिक्षित मानव बल एवं मोटिवेटर की भी नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए मेडिकल कॉलेजों को डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। अगले एक साल में एक हजार कॉर्निया प्रत्यारोपण का लक्ष्य हासिल किया जाए। देहदान समिति 'ब्लाइंड वाक' आयोजित करेगी ताकि अंधों की जिन्दगी की जटिलता का अहसास हो सके।

बचा सकते हैं जिंदगी

सुशील मोदी ने कहा कि विज्ञान की तमाम तरक्की के बावजूद मानव अंग (किडनी, लीवर, पेन्क्रियाज, हृदय, क्रोनिया) आदि न तो प्रयोगशाला में बनते हैं और न ही बाजार में मिलते हैं। जब कोई व्यक्ति इसे दान करेगा तभी इसका इस्तेमाल कर किसी की जिंदगी को हम बचा सकते हैं। पश्चिम बंगाल में 10 लाख लोगों ने देहदान का संकल्प पत्र भरा हैं जिनमें से मृत्यु उपरांत 1800 लोगों का देहदान हो चुका है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में आरएसएस के वर्तमान सर संघ चालक मोहन भागवत की प्रेरणा से दधीचि देहदान समिति का शुभारंभ किया गया। तबसे इस संस्था के माध्यम से रक्तदान, अंगदान, देहदान द्वारा जिंदगियों को बचाने और रौशन करने का पुनित कार्य किया जा रहा है। आईजीआईएमएस में 412 कॉर्निया तथा 54 किडनी के सफल प्रत्यारोपण किए गए हैं। सेंट्रल मिनिस्टिर रविशंकर प्रसाद समेत अन्य मौजूद थे।

खराब मेडिकल उपकरणों को सप्ताह में करना होगा दुरुस्त

सरकारी अस्पतालों में लगाए गए मेडिकल उपकरणों के आए दिन खराब होने की समस्या को देखते हुए सरकार ने अस्पतालों के अधीक्षकों को अपने निशाने पर लिया है वहीं उपकरण आपूर्ति करने वाली कंपनियों पर भी शिकंजा कस दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल उपकरणों के रखरखाव के लिए पूर्व से निर्धारित गाइडलाइन में संशोधन किया है। जिसके तहत उपकरण आपूर्ति करने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड करने तक के प्रावधान बनाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने जिन अस्पतालों में उपकरणों की कमी है उनसे संबंधित उपकरणों की सूची भी तलब की है।

लापरवाही पर हाईकोर्ट भी नाराज

उल्लेखनीय है कि बिहार के अस्पतालों में मेडिकल उपकरणों की खराबी या रखरखाव में लापरवाही को लेकर पटना हाईकोर्ट भी नाराजगी जता चुका है। अब जिलों के सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षकों को संशोधित गाइडलाइन भेज दी गई है। सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षकों के साथ ही विभागाध्यक्षों को भी साफ-साफ निर्देश दिए गए हैं कि वे गाइडलाइन का सही तरीके से पालन करें। गाइडलाइन के अनुसार विभागाध्यक्ष उपकरणों की स्थिति की जानकारी के साथ ही संवेदनशील उपकरण जैसे वेंटीलेटर संचालन के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर और पैरा मेडिकल, नर्सिग कर्मी की सूची भी अधीक्षक और प्राचार्य को देंगे। यदि मेडिकल उपकरण खराब हैं तो तत्काल बिहार मेडिकल सर्विसेज इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लि। के सहयोग से दुरुस्त कराने को कहा गया है। यदि उपकरण चालू नहीं होता है तो संबंधित आपूर्तिकर्ता और डिस्ट्रीब्यूटर को जानकारी दी जाएगी। यह नियम गारंटी और मेंटेनेंस की अवधि में लागू होगा। सप्ताह भर में उपकरण की मरम्मत नहीं कराते हैं तो इन दोनों को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा।