2014 से खराब है फेको मशीन, प्राइवेट हॉस्पिटल्स के लिए लग रही

PATNA: पीएमसीएच में सिस्टम की अंधेरगर्दी चरम पर है। यहां के आई डिपार्टमेंट में हर दिन आंख के इलाज के लिए फेको ऑपरेशन वाले सैकड़ों पेशेंट्स मरीज आते हैं और निराश होकर लौट जाते हैं। क्योंकि यहां 2014 से ही इस ऑपरेशन के लिए मशीन खराब पड़ी है। तब से अब तक ना तो खराब मशीन सप्लाई करने वाले कारपोरेशन पर कार्रवाई की गई और न ही नई मशीन लगाई गई। यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में पेशेंट्स फ्री ऑपरेशन से वंचित होकर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में जाकर अपनी जेब ढीली करने को मजबूर है। जब व्यवस्था ठीक थी तब माह में करीब 60 ऑपरेशन हो जाते थे, लेकिन अब एक भी ऑपरेशन नहीं हो रहा है। इससे पीएमसीएच के आई डिपार्टमेंट में आने वाले पेशेंट निराश होकर लौट रहे हैं।

प्रतिदिन 125 पेशेंट आते हैं

पीएमसीएच के आई डिपार्टमेंट में प्रतिदिन अधिकतम 125 पेशेंट आते हैं। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक यहां न केवल पटना बल्कि अन्य कई जिलों से भी पेशेंट्स पहुंचते हैं। पेशेंट्स आंख से जुड़े तमाम प्रकार की बीमारियों के निदान की आशा लेकर आते हैं। लेकिन अब फेको पद्धति से ऑपरेशन भी नहीं हो रहे हैं।

चुप है कॉरपोरेशन

इसे लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने फेको मशीन के सप्लायर बीएमएसआईसीएल से फोन पर संपर्क किया तो अधिकारी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं आंख विभाग व पीएमसीएच प्रशासन इस संबंध में बीएमएसआईसीएल से पत्राचार कर मशीन दुरुस्ती की गुहार लगा चुके हैं।

हर माह करीब 10 लाख की चपत

पीएमसीएच में जब फेको मशीन ठीक थी तब यहां आने वाले पेशेंट्स का फ्री में ऑपरेशन हो जाता था। लेकिन जबसे मशीन खराब हुई है तब से यहां आने वाले पेशेंट्स इसी ऑपरेशन को प्राइवेट हॉस्पिटल्स में करवाने को मजबूर हैं। माह में करीब 25 वìकग डे के हिसाब से प्रतिदिन दो ऑपरेशन होते थे इस तरह 1 दिन में 40,000 और माह में करीब 10 लाख रुपए पब्लिक की जेब से खर्च हो रहे हैं। जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इस ऑपरेशन का खर्च 15000 से लेकर 25000 रुपए तक है।

इसके लिए कौन हैं जिम्मेदार

पीएमसीएच में फेको मशीन की सप्लाई बीएमएसआईसीएल द्वारा की गई थी। तय नियमों के मुताबिक सप्लाई करने वाले की ओर से सीएमसी और एएमसी की जिम्मेदारी उठानी थी। सीएमसी का अर्थ है सप्लाई करने की डेट से 3 साल तक मशीन सुचारू तरीके से चलाने की व्यवस्था और एएमसी यानी वाíषक रख-रखाव खर्च आदि। लेकिन बीएमएसआईसीएल ने खुद को इन दोनों जिम्मेदारियों से मुक्त रखा। नतीजतन यहां इस मशीन से मिलने वाली सभी सुविधाएं 2014 से ही बंद है। इसका खुलासा आरटीआई से भी हुआ है।

फेको मशीन की खराबी को लेकर बीएमएस

आईसीएल को सूचना दी गई है। लेकिन कुछ नहीं कहा गया है।

-डॉ विद्यापति चौधरी, प्रिंसिपल पीएमसीएच