PATNA: महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन काíतक शुक्ल पंचमी गुरुवार को लोहंडा या खरना में दिनभर उपवास के बाद व्रतियों ने शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर निष्ठा और पवित्रता से निíमत प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लिया। यह पर्व पारिवारिक सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि-विधान से करती हैं। इस पर्व को करने से रोग, शोक और भय आदि से मुक्ति मिलती है। छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चली आ रही है।

सूर्यदेव को अ‌र्घ्य

इस बार छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग बन रहा है। शुक्रवार को संध्याकालीन अ‌र्घ्य पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। वहीं 21 नवंबर सप्तमी दिन शनिवार को उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ द्विपुष्कर योग का शुभ संयोग रहेगा। विष्णु पुराण के अनुसार तिथियों के बंटवारे के समय सूर्यदेव को सप्तमी तिथि प्राप्त हुई थी। इसलिए उन्हें इस तिथि का स्वामी भी कहा जाता है। जागृत देव भास्कर भगवान को सप्तमी तिथि को प्रात: कालीन अ‌र्घ्य देकर महापर्व का समापन किया जाता है।