पटना(ब्यूरो)। पटना में बारिश इस बार कम से कम 12 दिन देर हो चुकी है। लेकिन इससे भी बहुत देर है इससे निपटने की तैयारी। यही वजह है कि इस बार भी जलजमाव से बचने की बात आधी-अधूरी लग रही है। पटना में तमाम जगहों पर नालों का निमार्ण काय शुरू है, कुछ 50 प्रतिशत पूरा हुआ है और कुछ लगभग पूरा होने को है। जानकारी हो कि 06 अंचल में 41 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मौजूद है पुराना डे्रनेज सिस्टम। यहां हमेशा ही जलजमाव की समस्या होती है। यहां बारिश हो जाए तो सड़कों और मुहल्लों में पानी भरना तय है। इन सभी से निपटने की मुख्य जिम्मेदारी पटना नगर निगम पर है। लेकिन साल-दर -साल पटना का विस्तार हो गया और पटना में ड्रेनेज कैपेसिटी का विस्तार नहीं किया। उधर, निगम का दावा है कि इस बार कहीं भी जल जमाव से निपटने के लिए टीम तैयार है।

पुराने मुहल्लों में ज्यादा परेशानी
पटना में ड्रेनेज और जलजमाव दोनों एक-दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़ा विषय है। बारिश के दौरान सबसे अधिक परेशानी वहां ज्यादा है जहां पुराना ड्रेनेज से ही काम चल रहा है। यह काम लायक नहीं रह गया है। ऐसे क्षेत्रों में सड़क और मुहल्लों में बारिश के दौरान पानी भर जाता है। बांकीपुर अंचल का कदमकुआं क्षेत्र, पटना सिटी अंचल के पुराने घनी बसावट वाले इलाके और अजीमाबाद अंचल के कुछ इलाकों में हर साल जलजमाव की समस्या से लोग परेशान होते हैं।

नए इलाकों में भी परेशानी
न्यू बाईपास में रिहाइशी इलाका नया बसावट है, जो कि जलजमाव की समस्या से गंभीर रूप से प्रभावित होने लगा है। क्योंकि यहां पर बेतरतीब तरीके से घर और कमर्शियल एरिया डेवलप हो गए हैं। लेकिन ड्रेनेज को लेकर कोई मुकम्मल व्यवस्था की अभी भी कमी है। न्यू बाइपास इलाके में करीब छह से आठ वार्ड आते हैं जो बेऊर से लेकर जीरो माइल तक हैं। यहां रामकृष्णा नगर, खेमनीचक, कछुआरा, नंद लाल छपरा, जकरियापुर, विजय नगर, सोरंगपुर, भूपतिपूर, ब्रहमपुर के इलाके। ये सभी इलाके करीब दो दशकों में तेजी से विकसित हुए हैं। यहां आलम ऐसा है कि कॉलोनी की सड़क से लेकर न्यू बाइपास तक जल जमाव से लोग परेशान हैं इसमें भी ज्यादा समस्या बेऊर की ओर के इलाकों में ज्यादा है।

जल्ला क्षेत्र खत्म होना परेशानी का सबब
आखिर न्यू बाइपास इलाके में जलजमाव की समस्या हर बार क्यों होती है? इस बारे में वरिष्ठ भूगोलवेत्ता एवं एएन कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर भूगोल विभाग डॉ। डीपी सिंह का कहना है कि न्यू बाइपास का इलाका कभी पूरा जल्ला क्षेत्र होता था। पटना में बारिश के बाद शहरी क्षेत्र का पानी यहां जमा हुआ करता था। तब यहां इतनी अधिक रिहाइशी इलाके नहीं थे। इसके कारण शहर में जो भी अतिरिक्त बारिश का पानी होता था, यहां जमा होता था या यहां से आगे निकल भी जाता था। यह व्यवस्था अब समाप्त हो गई है।

नए इलाकों में भी हाल बेहाल
80 के दशक में सगुना मोड़ से लेकर दानापुर रेलवे स्टेशन तक का हिस्सा में भले ही चार लेन की सड़क बनी है। लेकिन इसके ठीक सटे बसे रिहाइशी इलाकों में लोगों को जलजमाव से हर साल मुसीबत झेलना पड़ रहा है। आदमपुर, लेखा नगर और इसी इलाके में बसी कई नई टाउशिप के मुख्य सड़क से लेकर अप्रोच रोड तक पानी भर जाता है। यह सड़क से काफी नीचे का हिस्सा है। इसके अलावा पश्चिमी पटना के नए बसे क्षेत्र में भी डे्रनेज वर्क पूरा नहीं हुआ है। इस वजह से इस बार भी जलजमाव का खतरा है।