कई बच्चों की जान भी ले सकता था

शिशु वार्ड पर नजर इस लिए रुक जाती है, क्योंकि यहां लापरवाही में जिस तरह विस्फोट के बाद धुआं उठा था वह कई बच्चों की जान भी ले सकता था। इंसेंटिव केयर यूनिट पीआईसीयू में लगी एसी का कंडेंशर ठीक करने के दौरान फट गया। तेज आवाज और धुएं के गुब्बार के बीच इसमें एडमिट छह बेड के पांच पेशेंट अपनी जान बचाकर भागे। अफरा-तफरी इतनी बढ़ी कि जेनरल वार्ड के पेशेंट भी बाहर निकल गए।

वेंटीलेटर पर छोड़कर भागे

छपरा से आए जय किशोर भतीजे सुजीत का इलाज करवा रहे थे। उन्होंने बताया कि आनन-फानन में बच्चे को लेकर भागे वरना दम घुटकर जान चली जाती। वहीं कौशल कुमार अपने भतीजे को वेंटीलेटर पर छोड़कर रूम से निकल भागे। करीब एक घंटे बाद माहौल शांत हुआ। दरअसल पीएमसीएच के एसी के कंप्रेशर में लिकेज था। इससे गैस और ऑयल दोनों बाहर निकलने लगे थे। सवाल उठता है कि इतनी बड़ी लापरवाही आखिर कैसे हो गई?

मेनटेनेंस में रखना होता है ध्यान

इस तरह की घटना किसी भी घर में हो सकती है। इसके लिए जरूरी है कि टाइम पर आप अपने एसी का मेनटेनेंस करवाते रहें। ध्यान रखना होगा कि एसी ठंडा करना बंद करने लगे तो मैकेनिक बुलाकर अपने सामने इसकी जांच करवा लें। इंजीनियर रिंकू की मानें तो एसी के फटने की दो वजह होती है। पहला मेनटेनेंस के दौरान अधिक गैस भर देने से और दूसरा कंप्रेशर-कंडेंसर की पाइप में गड़बड़ी आने से। मीटर के हिसाब से ही मैकेनिक गैस की फीलिंग करते हैं। मीटर जितना प्रेशर बताता है उससे अधिक या कम फीलिंग करने पर इस तरह की प्राब्लम आती है।

शिशु वार्ड की हालत और भी खराब

दिन ब दिन शिशु वार्ड की हालत खराब होती जा रही है। बच्चे को देखने के लिए डॉक्टर के अलावा यहां पर किसी भी दूसरी चीज की फैसिलिटी नहीं है। टेस्ट से लेकर दवा तक के लिए अटेंडेंट को दर-दर भटकना पड़ता है। हर बेड पर डोयन का टेस्ट रिपोर्ट टंगी है। इसके लिए हर बेड से मिनिमम 500 रुपए लिए जाते हैं।

10 दिन में दो बार लगी आग

शिशु वार्ड में पिछले दस दिन में दो बार आग और विस्फोट की घटना ने एडमिनिस्ट्रेशन की लापरवाही की पोल खोल दी है। एक्सपायर हो चुके इलेक्ट्रिक इंस्ट्रूमेंट मेनटेनेंस के अभाव में अचानक विस्फोट कर रहा है। दस दिन पहले शिशु वार्ड के स्ट्रेलाइजर मशीन में आग लगी थी और अब एसी में।

सुपरिटेंडेंट ने खोले तीन राज

पुरानी मशीन का नहीं होता मेनटेनेंस

इलेक्ट्रिकल आइटम को लेकर सुपरिटेंडेंट डॉ। अमरकांत झा अमर ने बताया कि मेनटेनेंस नहीं होने से इस तरह की प्राब्लम आती है। पीएमसीएच में 150 एसी है। आए दिन कोई न कोई कंप्लेन आती रहती है।

स्टाफ की कमी से प्राब्लम

पारामेडिकल व फोर्थ ग्रेड स्टाफ में 50 परसेंट की कमी है। कहीं न कहीं स्टाफ कम करके ही दूसरी जगह काम लिया जाता है। जानकारी हो कि पीएमसीएच में 1675 बेड में से 1538 पेशेंट भत्र्ती रहते हैं।

नर्स को सूई नहीं देने आता

सुपरिटेंडेंट की मानें तो परमानेंट नर्सों को छोड़ दें तो टेम्पररी नर्सों की हालत काफी खराब है। प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं होने से इन्हें सूई देने का तरीका तक नहीं आता है।