- अब तक सभी व्हाइट फंगस के मामले बलगम जांच के बाद सामने आए

<- अब तक सभी व्हाइट फंगस के मामले बलगम जांच के बाद सामने आए

PATNA :

PATNA : कोरोना पेशेंट में रिकवरी के बाद व्हाइट फंगस के मामले भी सामने आने लगे हैं। पीएमसीएच में अब तक ब् पेशेंट का ट्रीटमेंट सफलतापूर्वक किया गया है। खास बात यह है कि इन सभी केसेस का खुलासा बलगम जांच के बाद ही हुआ है। पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि यह चिंता की बात है कि कोरोना पेशेंट का इलाज अब लंबा खींच रहा है। इसकी बड़ी वजह है इसके रिकवर हुए पेशेंट के ट्रीटमेंट के तरीके में कमी है। दरअसल पेशेंट निगेटिव हो जाते हैं। कोरोना के सभी लक्षण से मुक्त हो जाते हैं इसके बावजूद उन्हें सांस लेने की तकलीफ महसूस होती रहती है। इसका बड़ा कारण पोस्ट कोविड-क्9 के बलगम की जांच समय पर नहीं होना है ऐसे सभी पेशेंट की स्कूटम टेस्ट यानी बलगम की जांच करा ली जाए तो पेशेंट के ठीक होने में समय कम लगेगा और इसका उपचार पूरी तरह से और कम समय में संभव है।

ऑक्सीजन फॉल कर रहा है तब भी

डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि ऐसा पाया गया है कि कोरोना निगेटिव हो जाने के बाद कई पेशेंट में ऑक्सीजन लेवल गड़बड़ पाया जा रहा है और डॉक्टर भी हैरान होते हैं कि आखिर ऐसा क्यों। जब रिपोर्ट निगेटिव है तब इसकी संभावना नहीं होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में एंटी फंगल ट्रीटमेंट शुरू कर देना चाहिए। इससे पेशेंट का ऑक्सीजन लेवल सही हो जाएगा और वह जल्द स्वस्थ हो जाएगा।

स्कैन में यदि शेड आए

डॉक्ट सिंह ने बताया कि यदि कोरोना से ठीक होने के उपरांत सीटी स्कैन की रिपोर्ट में थोड़ा शेड दिखाई दे उस स्थिति में भी अलर्ट रहने की जरूरत है। यह व्हाइट फंगस का मामला हो सकता है। तुरंत बलगम की जांच करानी चाहिए। मामला पकड़ में आ जाएगा और ट्रीटमेंट इसी आधार पर शुरू कर देना चाहिए। इसके साथ ही यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि जब पेशेंट कोरोना संक्रमित होता है तब एस्टेरॉइड का प्रयोग समुचित तरीके से होना चाहिए क्योंकि इसके बढ़े प्रयोग से व्हाइट फंगस के मामले भी आ सकते हैं।

ब्लैक फंगस से आसान ट्रीटमेंट

जहां ब्लैक फंगस के ट्रीटमेंट में बहुत ही सीमित और खर्चीली दवाइयों का प्रयोग होता है वहीं व्हाइट फंगस का ट्रीटमेंट आसान है क्योंकि इसमें कई सारी दवाइयों का प्रयोग संभव है। डॉ सिंह ने बताया कि लैब में जितने प्रकार के फंगस को देखा गया है उसमें से लगभग म्0 परसेंट फंगस व्हाइट फंगस हैं।

नहीं हो रही बलगम जांच

डॉ सिंह ने दावा किया कि फिलहाल बलगम जांच को बहुत महत्व नहीं दिया जा रहा है यही वजह है कि फंगस के मामले बहुत ज्यादा सामने आ रहे हैं खास तौर पर जो पेशेंट लंबे समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट कर रहे हैं एक बार बलगम जांच हो जाने के बाद इसका कल्चर कराया जाए इसके बाद बहुत अधिक संभावना बनती है कि फंगस के मामले मिलेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आई सी एम आई आर के कोविड-क्9 ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में भी इसे शामिल किया जाना चाहिए इससे इलाज में देरी नहीं होगी।

शुक्रवार को नहीं मिले केसेस

पीएमसीएच में शुक्रवार को वाइट संघर्ष के मामले मिलने की सूचना नहीं है डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि लाइफ में ऐसा कोई मामला नहीं आया है यदि इस प्रकार के मामले आते हैं तो इसे आगे कल्चर के लिए भेजा जाएगा।