हम बात कर रहे हैं राजगीर के प्रमुख पर्यटन स्थल घोड़ाकटोरा की। पंच पहाडिय़ों से घिरे इस खूबसूरत टूरिज्म स्पॉट पर केवल टांगे से ही सवारी की इजाजत है, ताकि प्रदूषण ना फैले। यहां किसी प्रकार का मोटर वाहन या मोटरसाइकिल का उपयोग प्रतिबंधित है। इस जगह के प्रवेश द्वार पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है- कृपया साइकिल या टांगे का ही प्रयोग करें। लिहाजा, मुख्यमंत्री और उनका पूरा काफिला भी सिर्फ टांगे से ही सफर करते हैं। लेकिन अब इस जगह पर भी कुछ वीआईपी की नजर लग गई है।  लिहाजा उनकी मनमानी उनकी जोरों पर है.
कौन हैं ये 'वीआईपीÓ
ये वो वीआईपी हैं, जिन्हें नियम-कानून से कोई मतलब नहीं है, प्रदूषण नियंत्रण से कोई लेना-देना नहीं है। जो खुद को सीएम से भी बड़ा वीआईपी समझते हैं। जरा गौर फरमाइए इन वीआईपी गाडिय़ों की फोटो पर। ये गाडिय़ां सारे नियम कानून को ताक पर रखकर घोड़ाकटोरा के रमणीक झील तक पहुंच गई हैं। क्या इनमें सवार लोग मुख्यमंत्री से ज्यादा महत्वपूर्ण वीआईपी हैं।  

जिम्मेदार कौन?
इस मामले में पर्यटन विभाग ने तो सीधे पल्ला झाड़ लिया। पर्यटन निगम के जनसम्पर्क अधिकारी गजेंद्र सिंह ने कहा कि घोड़ाकटोरा के गेट पर इंट्री से उनका कोई लेना-देना नहीं है। इसके लिए जवाबदेह वन विभाग है। इसके बाद हमने बात की वन एवं पर्यावरण विभाग से। वन विभाग में क्षेत्रीय प्रमुख वन संरक्षक एसके सिंह से आई नेक्स्ट ने चंद सवाल किए। जवाब में कहा कि प्रवेश को लेकर कोई रेगुलेशन नहीं है, इसलिए किसी को रोक नहीं सकते. 

हम बहुत सीमित संसाधनों में काम कर रहे हैैं। वन विभाग का कार्यक्षेत्र जिस हिसाब से बढ़ा है, उस हिसाब से वर्क फोर्स नहीं है, जिसके कारण परेशानी हो रही है। और वैसे भी मोटरगाडिय़ों के घोड़ाकटोरा में प्रवेश को लेकर कोई रेगुलेशन नहीं है, जिसके कारण हम जबरदस्ती किसी मोटरगाड़ी को रोक नहीं सकते. 
-एस के सिंह, 
क्षेत्रीय प्रमुख वन संरक्षक.

घोड़ाकटोरा में इन्ट्री से पर्यटन विभाग का कोई लेना-देना नहीं है। इसकी जिम्मेवारी वन और पर्यावरण विभाग की है.
- गजेन्द्र सिंह, 
जनसंपर्क अधिकारी, पर्यटन निगम

हम बात कर रहे हैं राजगीर के प्रमुख पर्यटन स्थल घोड़ाकटोरा की। पंच पहाडिय़ों से घिरे इस खूबसूरत टूरिज्म स्पॉट पर केवल टांगे से ही सवारी की इजाजत है, ताकि प्रदूषण ना फैले। यहां किसी प्रकार का मोटर वाहन या मोटरसाइकिल का उपयोग प्रतिबंधित है। इस जगह के प्रवेश द्वार पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है- कृपया साइकिल या टांगे का ही प्रयोग करें। लिहाजा, मुख्यमंत्री और उनका पूरा काफिला भी सिर्फ टांगे से ही सफर करते हैं। लेकिन अब इस जगह पर भी कुछ वीआईपी की नजर लग गई है।  लिहाजा उनकी मनमानी उनकी जोरों पर है।

कौन हैं ये 'वीआईपीÓ

ये वो वीआईपी हैं, जिन्हें नियम-कानून से कोई मतलब नहीं है, प्रदूषण नियंत्रण से कोई लेना-देना नहीं है। जो खुद को सीएम से भी बड़ा वीआईपी समझते हैं। जरा गौर फरमाइए इन वीआईपी गाडिय़ों की फोटो पर। ये गाडिय़ां सारे नियम कानून को ताक पर रखकर घोड़ाकटोरा के रमणीक झील तक पहुंच गई हैं। क्या इनमें सवार लोग मुख्यमंत्री से ज्यादा महत्वपूर्ण वीआईपी हैं।  

 

जिम्मेदार कौन?

इस मामले में पर्यटन विभाग ने तो सीधे पल्ला झाड़ लिया। पर्यटन निगम के जनसम्पर्क अधिकारी गजेंद्र सिंह ने कहा कि घोड़ाकटोरा के गेट पर इंट्री से उनका कोई लेना-देना नहीं है। इसके लिए जवाबदेह वन विभाग है। इसके बाद हमने बात की वन एवं पर्यावरण विभाग से। वन विभाग में क्षेत्रीय प्रमुख वन संरक्षक एसके सिंह से आई नेक्स्ट ने चंद सवाल किए। जवाब में कहा कि प्रवेश को लेकर कोई रेगुलेशन नहीं है, इसलिए किसी को रोक नहीं सकते. 

 

हम बहुत सीमित संसाधनों में काम कर रहे हैैं। वन विभाग का कार्यक्षेत्र जिस हिसाब से बढ़ा है, उस हिसाब से वर्क फोर्स नहीं है, जिसके कारण परेशानी हो रही है। और वैसे भी मोटरगाडिय़ों के घोड़ाकटोरा में प्रवेश को लेकर कोई रेगुलेशन नहीं है, जिसके कारण हम जबरदस्ती किसी मोटरगाड़ी को रोक नहीं सकते. 

-एस के सिंह, 

क्षेत्रीय प्रमुख वन संरक्षक।

 

घोड़ाकटोरा में इन्ट्री से पर्यटन विभाग का कोई लेना-देना नहीं है। इसकी जिम्मेवारी वन और पर्यावरण विभाग की है।

- गजेन्द्र सिंह, 

जनसंपर्क अधिकारी, पर्यटन निगम