पटना ब्‍यूरो। कॉलेज से स्कूल में ट्रांसफर के विरोध में राजधानी पटना की सड़कों पर छात्राओं का हुजूम एक बार फिर गुरुवार को उमड़ पड़ा। छात्राओं ने सरकार से तत्काल इस आदेश को वापस लेने की मांग की। इस आदेश के खिलाफ छात्राओं ने पटना के बीजेपी और जेडीयू ऑफिस का घेराव कर जमकर प्रदर्शन किया और आदेश वापस नहीं लेने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली। बीते पांच दिनों से क्रमवार विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। गुरुवार को जेडी वीमेंस कालेज, एएन कालेज सहित अन्य कालेजों के विद्यार्थियों ने भाजपा कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। उग्र प्रदर्शन के कारण आर ब्लाक से आयकर गोलंबर तक वीरचंद पटेल पथ घंटों जाम रहा। विद्यार्थियों को भाजपा कार्यालय के सामने से हटाने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल मंगानी पड़ी। प्रदर्शन कर रही छात्राओं के साथ महिला पुलिस पदाधिकारी और पुलिसकर्मियों ने बल प्रयोग किया। छात्राओं और महिला पुलिस के बीच हथापाई और जबरन रोड पर घसीटते देखा गया। छात्राओं की संख्या इतनी थी कि पूरा वीरचंद पटेल पथ प्रदर्शनकारियों से भर गया।

बंद करना पड़ा बीजेपी कार्यालय का गेट
विद्यार्थियों की भीड़ को देखते हुए भाजपा कार्यालय के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया। प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी नामांकन स्थानांतरण को लेकर नाराज थे। स्थिति को बिगड़ता देख घटनास्थल पर पुलिस प्रशासन भी पहुंची। आंदोलन कर रहे इंटरमीडिएट छात्र-छात्राओं और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। इस हंगामे को देख उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को आना पड़ा। उनके आश्वासन के बाद छात्रों का प्रदर्शन खत्म हुआ। हालांकि इस संदर्भ में अबतक न सरकार की तरफ से और न शिक्षा विभाग की ओर से लिखित आदेश जारी किया गया है।

11वीं के छात्रों को स्कूल में एडमिशन का निर्देश
दरअसल शिक्षा विभाग की ओर से 11वीं के स्टूडेंट्स को कॉलेज की बजाय 10+2 स्कूल में एडमिशन लेने के निर्देश दिए गये हैं। इस निर्देश का छात्र विरोध कर रहे हैं। छात्राओं ने वी वांट जस्टिस के नारे के साथ राजधानी की सड़कों पर प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार से न्याय की मांग करते हुए नई शिक्षा नीति में बदलाव की मांग की है।

एडमिशन लेने के बाद कहां जाएं?
छात्राओं का कहना है कि जो छात्रा पहले से ही कॉलेज में एडमिशन ले चुकी हैं वो बीच में स्कूल में कैसे एडमिशन ले सकती हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि बहुत ही मेहनत के बाद हमें शहर के बेहतरीन कॉलेजों में एडमिशन मिला है और अभी हमें कहा जा रहा है कि विद्यालय में जाकर पढ़ाई करो। यह कहां तक उचित है हमें न्याय चाहिए।

बीच सेशन में ट्रांसफर का आदेश गलत
छात्रों का कहना है कि सरकार क्या करना चाह रही है, ये हमें नहीं पता लेकिन बीच सेशन में हम पढ़ाई छोड़कर कैसे जा सकते हैं। ऐसे में तो हमें न स्कूलों में एडमिशन मिलेगा और न ही हम अपनी पढ़ाई ढंग से कर पाएंगे। इसलिए सरकार के इस फैसले का विरोध करने के लिए हम सड़कों पर उतरे हैं। सरकार जल्द से जल्द इसको लेकर निर्णय ले नहीं तो हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।


क्यों नाराज हैं छात्र?
दरअसल, बिहार के कॉलेज में पढ़ रहे 11वीं कक्षा के छात्र और छात्राओं को प्लस टू के स्कूलों में शिफ्ट करने की खबर है, छात्र-छात्राओं की मानें तो उनके पास दूसरे स्कूलों में शिफ्ट होने के मैसेज आ रहे है। जिससे 11वीं के छात्र-छात्राएं नाराज हैं और सड़कों पर सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

क्या है नीतीश सरकार का +2 वाला फरमान?
नए नियम के मुताबिक, साल 2023-2025 के इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं को ओएफएसएस वेब पोर्टल पर 21 मार्च से 31 मार्च के बीच प्लस टू स्कूल का विकल्प भरना होगा। विकल्प भरने के बाद उसी के अनुसार सभी छात्र-छात्राओं को स्थानांतरित किया जाएगा।

एक अप्रैल से कॉलेजों में नहीं होगी इंटर की पढ़ाई
दरअसल 21 फरवरी 2024 को शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया था। जिसके अनुसार शैक्षणिक सत्र 2024-25 से इंटरमीडिएट की पढ़ाई कॉलेजों में नहीं होगी। इसको लेकर विभाग ने राज्य कैबिनेट की मंजूरी भी ली थी। नये नियम के तहत डिग्री कॉलेजों में वर्तमान में संचालित इंटर स्तर की पढ़ाई पूरी होने पर 1 अप्रैल 2024 से पात्र सभी उच्च माध्यमिक विद्यालयों में +2 की पढ़ाई शुरू करने की स्वीकृति दी गई है।

कालेज प्रशासक की मौन सहमति से मिल रही हवा
बताया जाता है कि कालेजों में इंटर की पढ़ाई से मोटी राशि कालेज को मिलती है। विकास मद में भी छात्रों से राशि ली जाती है। इसके कारण कालेज के पास खर्च के लिए पर्याप्त राशि हो जाती है। अब नए नियम के लागू होने से राशि नहीं मिलेगी। ऐसे में छात्रों के आंदोलन को कालेज प्रशासन की मौन सहमति मिल रही है।

गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई के लिए सरकार का बेहतर कदम
विशेषज्ञों के अनुसार, कालेजों से इंटर की पढ़ाई खत्म होने से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। कालेजों में शिक्षकों का काफी अभाव है। इंटर की पढ़ाई होने से स्नातक व पीजी के छात्रों को परेशानी होती है। अब इससे मुक्ति मिलेगी।

घंटो जाम से जूझे लोग
गुरुवार को वीर चंद पटेल पथ स्थित जदयू व बीजेपी कार्यालय के समीप राजधानी के विभिन्न कॉलेजों के स्टूडेंट बड़ी संख्या में एकत्रित हुए हुए। वे सभी पहले बीजेपी कार्यालय के मुख्य गेट पर धरने पर बैठ गए। वी वांट जस्टिस का नारा लगाते रही। हालांकि पुलिस ने हलका बल प्रयोग कर स्टूडेंटस को बीजेपी कार्यालय गेट से हटाया। इससे रोषित महिला छात्राएं दोनों तरफ की सड़कों पर फैल गई। इससे मार्ग पर डेढ़-दो घंटे के लिए जाम की स्थिति बन गई। जिसकी वजह से इंनकम टैक्स से लेकर आर ब्लॉक तक लंबी वाहनों की कता लग गई.इधर, पुलिस वाले छात्राओं को समझाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन उनपर कोई असर नहीं हो रहा था। कई राहगीर भी छात्राओं से उलझ गए लेकिन उन्हें भी पीछे हटना पड़ा। करीब तीन बजे दिन में किसी तरह छात्राओं को मनाकर जाम हटाया गया।

पुलिसकर्मियों ने की हाथापाई, उग्र हुए प्रदर्शनकारी
प्रदर्शन कर रही छात्राओं के साथ पुलिस हाथापाई करते दिखी। छात्राओं का आरोप है कि पुलिस वालों ने उनके साथ बदसलुकी की। कुछ छात्राओं का यह​ भी आरोप लगाया कि वह धरने पर बैठी थी पुलिस वालों ने उन्हें लात मारकर हटाने का प्रयास किया। वहीं कुछ का आरोप है कि पुलिस ने उनका दुपट्टा पकड़कर सड़क पर पटक दिया और गला दबाने की कोशिश की। छात्रों को पुलिस हिरासत में लेने से प्रदर्शनकारी छात्राओं से एसडीओ ने बातचीत की और उनको समझाने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राएं शिक्षा विभाग के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शन करने वालों में चार छात्रों को हिरासत में लिया। उसके बाद इस कार्रवाई का छात्रों ने जमकर विरोध किया।

देर शाम छोड़े गए स्टूडेंटस
अपनी मांगों को लेकर सड़क पर प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंटस में से करीब आधा दर्जन छात्राओं को पुलिस ने जबरन गिरफ्तार कर थाने ले आई थी। हालांकि इन सभी को देर शाम वॉर्निंग देकर छोड़ दिया गया। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में पुलिस विद्यार्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की धमकी देती रही। इसके कारण माहौल और खराब होने लगा.पुलिस यदि कार्रवाई करेगी तो आंदोलन और उग्र होगा।