-सुपौल में टिश्यू कल्चर लैब जल्द, भागलपुर में बढ़ेगी क्षमता

क्कन्ञ्जहृन्: बिहार के लिए अलग बांस नीति बनेगी। बिहार के किसानों, कारीगरों और उद्यमियों को बांस की खेती के अध्ययन और प्रशिक्षण के लिए असम, त्रिपुरा और मिजोरम भेजा जाएगा। यह बातें डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कही। वे पर्यावरण व वन विभाग द्वारा शनिवार को आयोजित बैम्बू कांक्लेव का उद्घाटन के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अररिया टिश्यू कल्चर लैब में ट्रेनिंग सेंटर स्थापित कर स्किल डेवलपमेंट और बांस की खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा। मोदी ने कहा कि भारत सरकार के नेशनल बैम्बू मिशन को कृषि विभाग से अलग कर पर्यावरण व वन विभाग के अन्तर्गत कृषि वानिकी की तर्ज पर कार्यान्वित किया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांस को ग्रीन गोल्ड की संज्ञा देते हुए नेशनल बैम्बू मिशन के तहत पूरे देश के लिए 2018-19 और 2019-20 में 1290 करोड़ का प्रावधान किया है जिससे 1 लाख हैक्टेयर में प्लांटेशन कर 1 लाख किसानों को लाभान्वित किया जायेगा।

घास की श्रेणी में रखा

उन्होंने कहा कि उन्होंने बांस को पेड़ की श्रेणी से निकाल कर घास की श्रेणी में रख दिया है जिससे किसानों को बांस काटने व बिक्री करने में सहूलियत होगी। बांस 30 फीसद ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है। किसान 120 वषरें तक लाभ ले सकते हैं। पूरे बिहार के साथ भागलपुर, कोसी व पूर्णिया में बांस की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भागलपुर में स्थापित बैम्बू टिश्यू कल्चर लैब की क्षमता सालाना 1.5 लाख से बढ़ाकर 3 से 5 लाख सीडलिंग की जायेगी।

धान की खेती को प्रोत्साहन देगी बिहार सरकार

दूसरी ओर कम लागत में अधिक उपज के लिए बिहार में पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि मंत्री डॉ। प्रेम कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत चालू खरीफ सीजन में राज्य में करीब 16 हजार एकड़ में पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की खेती का प्रत्यक्षण किया जा रहा है। इसके लिए सभी जिलों के लिए लक्ष्य तय कर दिए गए हैं। चयनित किसानों को धान के बीज, बीजोपचार की दवा, प्लास्टिक सीट, वर्मी कंपोस्ट, जैव उर्वरक, पौधा संरक्षण एवं खर-पतवार नियंत्रक दवाओं की खरीदारी एवं पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन के भाड़े के रूप में प्रति एकड़ 3280 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।