बिहार में सक्रिय हैं हैकर
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि बिहार में वर्ष 2013 से अचानक साइबर क्राइम की घटनाओं में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हुई है। सबसे अधिक मामले एटीएम कार्ड और पिन नंबर चोरी कर ऑनलाइन शॉपिंग की गई है। ये तो वो मामले हैं जो थानों में दर्ज हुए। जबकि थानों में दर्ज मामलों से 10 गुना अधिक मामले हुए हैं लेकिन वे रिकार्ड में दर्ज नहीं हो पाए।
यूं उड़ा लेंगे आपका पैसा
हैकरर्स स्वाइप मशीन में छोटी सी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस जिसे कार्ड रीडर कहते हैं असेम्बल कर देते हैं। कार्ड के लगते ही जितने भी डेबिट और क्रेडिट कार्ड स्वाइप किए जाते हैं उनके नंबर से लेकर पासवर्ड तक उस डिवाइस की मेमोरी में सेव हो जाता है। इसके बाद हैकर ऑनलाइन शापिंग से खाता खाली कर सकते हैं.
नहीं हैं साइबर क्राइम के थाने
नेशनल लेबल पर कई बार साइबर क्राइम के तार बिहार में पाए गए। लेकिन इसके बाद भी बिहार के जिलों में साइबर सेल स्थापित नहीं हुआ। मौजूदा स्थिति ये है कि आर्थिक अपराध इकाई के अंडर में साइबर सेल को भी दे दिया गया है। जबकि इकाई के पास वैसे भी अधिक काम है और साइबर सेल के भी बड़े मामले हैं।
2015 में टॉप 10 में शामिल रहा बिहार
बिहार में साइबर सेल किस कदर कमजोर है इसका प्रमाण है एनसीआरबी के आंकड़े। बिहार में साइबर क्राइम की अगर सारी शिकायतें दर्ज होती तो शायद बिहार देश में नंबर वन पर होता.
उत्तर प्रदेश - 2208
महाराष्ट्र - 2195
कर्नाटक - 1447
राजस्थान - 949
तेलंगाना - 668
असम - 483
वेस्ट बंगाल- 348
बिहार - 242
बरतें सावधानी
कार्ड स्वाइप करते हुए चिप का ध्यान रखें।
विश्वसनीय दुकान और शोरूम में ही मशीन का इस्तेमाल करें ।
किसी प्रकार का शक हो तो पुलिस को सूचना दें।
कार्ड और गुप्त कोड हमेशा सीक्रेट रखें।
सीसी कैमरा के माध्यम से भी स्वाइप मशीन की गोपनीयता चोरी की जा सकती है.
मशीन का इस्तेमाल करते समय सीसी कैमरा और छोटी चिप को लेकर सावधान रहें ।
एटीएम मशीन पर भी सेफ्टी का ध्यान रखें।
बैंक गोपनीय जानकारी नहीं मांगता है। इसलिए पिन नंबर शेयर न करें।
लापरवाही से साइबर क्राइम बढ़े हैं। गोपनीय जानकारियों को लेकर लोग जागरुक नहीं है। साइबर सेल को एक्टिव करने के साथ जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। आर्थिक अपराध इकाई से साइबर सेल चल रहा है। इसके माध्यम से प्रदेश में सेल काम कर रहा है.
- पी के ठाकुर, डीजीपी