-महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता की अपील का विरोध करते हुए कहा, देरी होगी

-पटना हाई कोर्ट में अब अगली सुनवाई 31 मई को होगी

PATNA: बिहार के एक लाख 25 हजार प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों की बहाली पर लगी रोक हटाने के लिए दायर रिट याचिका पर फ्राइडे को पटना हाई कोर्ट में आंशिक रूप से सुनवाई हुई। मामले को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने दिव्यांग उम्मीदवारों को चार प्रतिशत आरक्षण देकर प्रावधानों का पालन किया है और उसके मुताबिक पूरी चयन प्रक्रिया शुरू की गई है। लगभग सवा लाख कैंडिडेट्स की कुल रिक्तियों पर चार प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, लेकिन पूर्व के स्थगन आदेश के कारण अंतिम चयन सूची अधिसूचित नहीं की जा सकी।

महाधिवक्ता ने मांगी अनुमति

महाधिवक्ता ने कहा कि या तो रिट याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन राज्य सरकार को नियुक्तियों को अंतिम रूप देने की अनुमति दी जाए या वैकल्पिक रूप से दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए कुल रिक्तियों में से चार प्रतिशत उनके लिए आरक्षित रखने की अनुमति दी जाए। इसे बाद में भर दिया जाएगा। इस बीच शेष उम्मीदवारों की नियुक्त की अनुमति दी जाए।

आवेदन की मिले अनुमति

नेत्रहीन संघों की तरफ से वरीय अधिवक्ता एसके रूंगटा ने दलील दी कि दिव्यांगों के लिए रिक्तियों को पहले अधिसूचित किया जाना चाहिए, जो दिव्यांग अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर सके हैं, उन्हें नए सिरे से आवेदन करने की अनुमति मिले। उसके बाद अंतिम रूप से नियुक्ति की जाए। महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता की अपील का विरोध करते हुए कहा कि इससे पहले से चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति में अनावश्यक देरी होगी। अगली सुनवाई 31 मई को होगी।

एमयू के रिटायर डीन जमानत पर रिहा

इधर हाईकोर्ट ने फ्राइडे को मगध यूनिवर्सिटी के सेवानिवृत्त डीन को अग्रिम जमानत पर रिहा कर दिया। न्यायाधीश ए अमानुल्लाह की एकल पीठ ने मामले पर सुनवाई करने के बाद यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया गया था कि अंतर्निहित कमियों के बावजूद नवादा जिले के सिया वाल्मीकि इवनिंग कालेज, गीतानगर को संबद्धता प्रदान करने के संबंध में एक निरीक्षण दल का सदस्य होने के नाते उन्होंने इसकी सिफारिश की थी। संबद्धता के लिए अनुकूल सिफारिश के बावजूद जब राज्य सरकार ने इसे देने से इनकार कर दिया तो मामला न्यायालय में चला गया। न्यायालय ने शिक्षा विभाग को निरीक्षण रिपोर्ट के संबंध में जांच कराने का निर्देश दिया था। जांच में यह पता चला कि कई अंतर्निहित कमियां थीं, जिन्हें निरीक्षण टीमों द्वारा इंगित नहीं किया गया था। इस मामले में डीन एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।