पटना (ब्यूरो)। छठ महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को रवियोग में व्रतियों ने गंगा घाट, कृत्रिम तालाब, जलाशय, घर की छतों पर भगवान सूर्य को सायंकालीन अघ्र्य देकर पूजा -अर्चना की। चैत्र शुक्ल सप्तमी को शोभन योग में प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर को गंगाजल व दूध से अघ्र्य देकर चार दिवसीय महापर्व संपन्न होगा। व्रतियों का विगत 36 घंटे से चला आ रहा निर्जला उपवास भी पूर्ण होगा। एक-दूसरे को मंगल टिका लगाकर प्रसाद दिया जाएगा। व्रती प्रसाद के बाद शर्बत, चाय, दूध पीने के बाद पारण करेंगी। इस भीषण गर्मी में बिना अन्न-जल के इस महापर्व को पूरी श्रद्धा व निष्ठा से पूर्ण किया जाता है।

ऋवैदिक काल से ही छठ पर्व की परंपरा
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि व्रती आज शोभन योग में उदीयमान सूर्य को दूध व जल से अघ्र्य देकर व्रत का समापन कर पारण करेंगी। आज प्रात: कालीन अघ्र्य का शुभ मुहूर्त सुबह 05. 46 बजे से 06.01 बजे तक है। उगते सूर्य को अघ्र्य देने से आयु-आरोग्यता, यश, संपदा में वृद्धि होती है। इस बार छठ महापर्व ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में मनायी जा रही हैं। यह पर्व पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती पुरे विधि-विधान से छठ का व्रत करती है। इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है। छठ व्रत करने की परंपरा ऋवैदिक काल से ही चला आ रहा है।

उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने से यश,बल व बुद्धि
ज्योतिषी झा के मुताबिक उदीयमान सूर्य को अघ्र्य जल में रक्त चंदन, लाल फूल, इत्र के साथ ताम्रपात्र में आरोग्य के देवता सूर्य को अघ्र्य देने से आयु, विद्या, यश और बल की प्राप्ति होती है। स्थिर एवं महालक्ष्मी की प्राप्ति के लिए सूर्य को दूध का अघ्र्य देना चाहिए। कलयुग के प्रत्यक्ष देवता सूर्य को जल में गुड़ मिलाकर अघ्र्य देने से पुत्र और सौभाग्य का वरदान व कई जन्मों के पाप नष्ट होते है।

आरोग्यता व संतान के लिए उत्तम है छठ व्रत
सूर्य उपासना के महापर्व में भगवान भास्कर को पीतल के पात्र से दूध तथा तांबे के पात्र से जल से अघ्र्य देना चाहिए.चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के पात्र से सूर्य को अघ्र्य नहीं देना चाहिए।