पटना (ब्यूरो)।पटना की सड़कों पर चलने वाले ई-रिक्श, ऑटो व कैब मोटर व्हीकल एक्ट का पालन नहीं कर रहे हैं। नियमों को ठेंगा दिखाकर बेलगाम सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों न सिर्फ ट्रैफिक व्यवस्था अनियंत्रित होती है बल्कि आम लोगों के जान पर भी संकट रहता है। इन वाहनों पर कार्रवाई करने के लिए चौराहों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस को जांच करने की फुर्सत तक नहीं है। वहीं महाअभियान में भी इन वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, जिस वजह से पटना की सड़कों पर नाबालिग ड्राइवर खुलेआम ई-रिक्शा दौड़ा रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शहर में पॉलिटेक्निक, कुर्जी, राजापुर पुल, गांधी मैदान, पटना जंक्शन सहित कई मार्गो पर ई-रिक्शा की पड़ताल की तो जो सूरत-ए-हाल दिखे वे बेहद चिंताजक दिखे। ओवर स्पीड व ओवर लोडिंग वाहन बेधड़क नियम रौंदकर भागते दिखे। इतना ही यात्रियों से मनमाना किराया लेना, अभद्रता से पेश आना आम बात हो गई है। कई बार ओवर स्पीड की वजह से आम यात्री घायल भी हो जाते हैं। सड़क सुरक्षा सप्ताह में पढि़ए खास रिपोर्ट

23 हजार ई-रिक्शा का हो रहा परिचालन
पटना में तेजी से ई-रिक्शा की संख्या बढ़ रही है। कुर्जी, गांधी मैदाान, पटना सिटी, फुलवारी शरीफ, दानापुर, पटना जंक्शन, पाटलिपुत्र स्टेशन, राजेन्द्र नगर टर्मिनल सहित कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां मनमर्जी से ई-रिक्शा चलते हुए नहीं मिले। क्षमता से अधिक यात्री बैठाना और ओवरटेक करना आम बात हो गई है। इतना ही नहीं कहीं भी किसी भी जगह बिना रोकटोक के ई-रिक्शा को चालक रोककर सवारी उतारता और चढ़ाता है। पिछले एक साल में ई-रिक्शा की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पटना शहर क्षेत्र की अगर बात करें तो डीटीओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 13 हजार ई-रिक्शा चल रहे हैं। वहीं पटना जिले की अगर बात करें तो 23,500 ई-रिक्शा का परिचालन हो रहा है। जो 2022 तक इसकी संख्या 18 हजार के आसपास थी।

रूट नहीं हुआ निर्धारण
शहर में चलने वाले कॉमर्शियल वाहनों का रूट निर्धारण जिला प्रशासन की सहयोग से डीटीओ द्वारा होता है। मगर पटना में चलने वाले 23 हजार ई-रिक्शा का रूट निर्धारण आज तक नहीं हुआ है। जिस वजह से ई-रिक्शा संचालक स्वतंत्र हैं। जहां मन हो, जिस रूट पर मन हो, ई रिक्शा को दौड़ा रहे हैं। कई ई रिक्शा तो ऐसे हैं जिनका अभी तक रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है तो चालान क्या होगा। स्मार्ट सिटी पटना में कैमरे से चालान हो रहा है। मगर ई रिक्शा को सायद कैमरा भी सही ढंग से रीड नहीं करती है। अगर इनपर कड़ाई से नियम लागू किया जाए तो शहर की कई समस्याओं का निदान मिनटों में हो जाएगा।

ई रिक्शा एक नजर में
एक लाख से अधिक यात्री प्रतिदिन करते हैं सफर
- पटना जिला में ई-रिक्शा की संख्या 23500
- पटना शहरी क्षेत्र में ई-रिक्शा की संख्या 13000
- ई-रिक्शा का नहीं है रूट निर्धारण
- क्षमता से अधिक बैठाते हैं यात्री
- जहां मन हो वहीं रोक देते हैं
- ई-रिक्शा की वजह से अक्सर लगता है जाम

केस 1
अनीसाबाद में पिछले साल नवंबर में ई-रिक्शा और बाइक की टक्कर में दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एक्सीडेंट के बाद पीएमसीएच में इलाज के लिए स्थानीय लोगों द्वारा एडमिट कराया गया।

केस 2
राजीव नगर नाले के पास ई-रिक्शा पलटने से एक बुजुर्ग महिला घायल हो गई थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि ई-रिक्शा का एक्सीडेंट अब आम बात हो गई है। ओवरटेक इसकी मुख्य वजह है।


रिजस्ट्रेशन सभी के लिए अनिवार्य है। जो यातायात नियम को तोड़ेंगे उन्हें निश्चित तौर पर जुर्माना लगेगा। चाहे वो ई-रिक्शा हो या ऑटो।
- गौतम कुमार, मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर, पटना


शहर में ई-रिक्शा का ओवरटेक करना खतरनाक साबित हो रहा है। इस दौरान कई लोग चोटिल भी हो जाते हैं।
-शेखर पाठक

ट्रैफिक सिपाहियों को चाहिए कि ई-रिक्शा चालक अगर नियम तो तोड़े तो उसे गंभीरता से लें। उनपर तुरंत कार्रवाई करें। कार्रवाई नहीं करने से उसका मनोबल बढ़ता है।
- रविन्द्र सिंह

ई-रिक्शा का रूट निर्धारण होने से शहर में जाम की समस्या से निजात मिलेगा। क्योंकि जाम की एक वजह ई-रिक्शा भी है। जिसे ट्रैफिक विभाग ध्यान नहीं देता है।
- नलीन प्रजेश

जिस तरह ओवर स्पीड करने पर बाइक और कार का चालान किया जाता है उसी प्रकार ई रिक्शा का भी चालान होना चाहिए। तभी समस्या का निदान होगा।
- अंजली

ई रिक्शा की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। सरकार को चाहिए इनके लिए अलग-अलग इलाके में स्टैंड की व्यवस्था करे। इससे चालक बेतरतीब वाहनों को नहीं लगाएंगे।
- पंकज पांडेय