हमें बस स्ट्रो टर्फ ग्राउंड चाहिए
बिहार से अलग हुए झारखंड में भी स्पोट्र्स की स्थिति यहां से बेहतर है। वहां इंटरनेशनल क्रिकेट और हॉकी को हरी झंडी मिल चुकी है। ऐसा नहीं है कि बिहार को इंटरनेशनल मैच की मेजबानी नहीं मिलेगी, पर इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी इसकी राह में रोड़े अटका रहा है। क्रिकेट में तो स्टेट को इंटरनेशनल मैच की मेजबानी मिलना दिन में सपने देखने समान है। हॉकी में स्टेट को इंटरनेशनल मैच की मेजबानी आसानी से मिल सकती है। हॉकी इंडिया के ज्वाइंट सेक्रेटरी मो। मुश्ताक का कहना है कि हमें बस स्ट्रो टर्फ ग्राउंड चाहिए, उसके बाद हर साल इंटरनेशनल मैच की मेजबानी बिहार को ही मिलेगी। ग्राउंड टर्फ बनाने के लिए 4.5 करोड़ रुपए देने के लिए भी तैयार हैं।

सेंट्रल ने मांगा था ग्राउंड के लिए प्लान
सेंट्रल गवर्नमेंट ने बहुत दिन पहले स्ट्रो टर्फ ग्राउंड के लिए स्टेट से प्लान मांगा था। आर्ट, कल्चर एंड स्पोट्र्स डिपार्टमेंट ने फिजिकल कॉलेज को ग्राउंड बनाने के लिए सेलेक्ट किया था। स्टीमेट, नक्शा सहित पूरा प्लान बनाने का जिम्मा भवन निर्माण विभाग को दिया गया था। भवन निर्माण विभाग ने आर्ट, कल्चर स्पोट्र्स डिपार्टमेंट से दो हॉकी स्पेशलिस्ट की डिमांड भी की। स्पोट्र्स डिपार्टमेंट ने स्पेशलिस्ट मुहैया कराने की बात कही, पर यहां के बाद मामला फंसता चला गया। अब तक भवन निर्माण विभाग स्टीमेट व नक्शा के साथ प्लान भी तैयार नहीं कर सका है। दोनों डिपार्टमेंट के बीच हजारों हॉकी लवर्स का सपना फाइलों में दबा हुआ है। इसके साथ ही प्लेयर्स का कॅरियर भी उसी फाइल में बंद है। स्ट्रो टर्फ नहीं होने का दंश सबसे ज्यादा प्लेयर्स ही झेल रहे हैं। टैलेंट और तैयारी होने के बाद भी वे नेशनल टूर्नामेंट में जीत दर्ज नहीं कर पाते हैं, जिससे उनका सेलेक्शन इंडियन टीम में नहीं हो पाता है।

तो हॉकी का स्वर्ग बन जाएगा बिहार
स्टेट में हॉकी पसंद करने वाले यूथ की कमी नहीं है। हालांकि बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने की वजह से यूथ इस गेम में नहीं आना चाहते। उलटे दूसरे नॉन ओलंपिक गेम खेलकर वे अपना कॅरियर खराब कर देते हैं। उनका मानना है कि दोनों में बात बराबर ही है, हॉकी या दूसरे ओलंपिक गेम में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने के कारण कॅरियर खराब होगा, नॉन ओलंपिक गेम में कॅरियर है ही नहीं। अब कुछ ना मिले इससे तो अच्छा है कि कुछ इंज्वॉय ही हो जाए। यदि स्ट्रो टर्फ बनता है, तो हजारों प्लेयर्स इसे ज्वाइन करेंगे। बंद पड़े हॉकी एकेडमीज भी ओपन हो जाएंगे। गांव-गांव में हॉकी खेला जाने लगेगा। ऐसा होने पर बिहार हॉकी का स्वर्ग बन जाएगा और यहां से इंडियन हॉकी टीम में प्लेयर्स की एंट्री भी होने लगेगी। सबसे बड़ी बात कि स्टेट के लोग अपने घर के प्लेयर्स को घर में खेलते देख पाएंगे.

बीएमपी-5 व आर्मी ग्राउंड के भरोसे हॉकी
स्टेट में हॉकी बीएमपी-5 ग्राउंड और आर्मी ग्राउंड के भरोसे चल रहा है। बीएमपी-5 में स्ट्रो टर्फ नहीं है, तो आर्मी ग्राउंड में स्ट्रो टर्फ है। दानापुर का आर्मी ग्राउंड उनकी मर्जी से मिलता है। हाल ही में आर्मी ग्राउंड नहीं दिए जाने की वजह से ईस्ट जोन हॉकी की मेजबानी बिहार से छिन गई थी। शास्त्री नगर गल्र्स हाईस्कूल में हॉकी ग्राउंड है भी, तो मेंटेनेंस के अभाव में यह भी खराब हो चुका है.