तरंग 2014 का था  दूसरा दिन
गांधी मैदान और मोईनुल हक स्टेडियम में कराटे की प्रैक्टिस चल रही थी। तो पाटलिपुत्रा स्पोट्र्स ग्राउंड में कबड्डी शुरू हुई। ब्वायज और गल्र्स दोनों कटेगरी के लिए गेम एक साथ चल रहा था तब से ये लोग ग्राउंड में अपनी-अपनी टीम के लिए लगातार प्रैक्टिस करती रहीं। वहीं गल्र्स टीम की कोच ने भी कहा कि अगर डाइट प्रोपर मिलता तो शायद अधिक परेशानी नहीं होती। लेकिन आयोजक ने जो दिया वही काफी है। भोजपुर, नालंदा, शिवहर, सुपौल, पटना की टीम के प्लेयर ने कहा कि अगर गेम के बाद भी कुछ खाने को मिल जाता तो परेशानी अधिक नहीं होती। वहीं आयोजन कमेटी के मेंबर ने कहा कि ऐसी बात नहीं है, खाना डाइट के हिसाब से दिया जा रहा है।

तीन दिनों से आधा पेट
गल्र्स टीम की जूही, श्वेता, शिखा ने बताया कि तीन दिनों से उन्हें बेहतर खाना नहीं मिला है। इसलिए आधा पेट ही रहकर खेलना पड़ता है। गल्र्स ने बताया कि नाम छापने पर परेशानी आएगी। इन लोगों ने एक स्वर में कहा कि हमलोग बाहर से आए हैं, लेकिन खाना से लेकर किसी भी चीज की बेहतर अरेंजमेंट नहीं है।