रोडरेज में हुई थी इंडिगो के मैनेजर रूपेश सिंह की हत्या

डेढ़ माह बाद लिया बदला

PATNA :

नाम ऋतुराज, पेशा बाइक चोरी, निवासी रामकृष्ण नगर थाना क्षेत्र की आदर्श नगर कॉलोनी। अब रुपेश हत्याकांड का मुख्य आरोपित। पुलिस का दावा है कि 29 नवंबर को रूपेश की कार से टकराने के बाद ऋतुराज लगातार वारदात को अंजाम देने की कोशिश कर रहा था। उसके साथ हत्याकांड में तीन और अपराधी शामिल थे। उनकी तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है। उसके घर से हत्या में प्रयोग में लाई गई पिस्टल, चार कारतूस, हत्या के वक्त पहने गए कपड़े, जूता व अन्य सामान बरामद किया गया है। इसी के साथ ऐसी तमाम आशंकाएं पुलिस ने खारिज कर दीं, जिनमें कांट्रेक्ट किलिंग या ठेकेदारी विवाद की बात की जा रही थी।

पुलिस का दावा

एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि 12 जनवरी की शाम 7 बजे पुनाईचक स्थित कुसुम विला अपार्टमेंट के बेसमेंट में अपराधियों ने रूपेश सिंह को गोलियों से भून डाला था। इसके बाद से पुलिस लगातार तकनीकी जांच कर रही थी। छह सौ से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले गए। डंप डाटा में चार हजार नंबरों के कॉल डिटेल खंगाले गए। एक सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से हत्यारों की पल्सर बाइक के पीछे बैठे अपराधी का चेहरा दिखा। पुलिस उस बाइक को कैमरे से लगातार फॉलो कर रही थी। वही बाइक दूसरे कैमरे में अलग नंबर से मिली। दोनों नंबरों का पता लगाया गया तो मालूम हुआ कि एक नंबर फर्जी है, जबकि दूसरे रजिस्ट्रेशन नंबर से ऋतुराज के घर का पता मिल गया। उसमें उसका मोबाइल नंबर भी था। मोबाइल नंबर का कस्टमर एप्लीकेशन फार्म निकालने पर उसकी तस्वीर मिल गई।

ऑफ था मोबाइल

एसएसपी की मानें तो घटना से चार घंटे पहले ऋतुराज और उसके साथियों ने अपने मोबाइल को स्विच ऑफ कर लिए थे। पुलिस ने मोबाइल के कॉल डिटेल्स खंगाले तो मालूम हुआ कि ऋतुराज ने दो दिन बाद बैरिया में मोबाइल स्विच ऑन कर तुरंत बंद कर लिया। इसके बाद उसका मोबाइल रांची में खुला। इससे संदेह गहरा हो गया। मोबाइल कंपनी से मिले कस्टमर एप्लीकेशन फार्म में उसकी तस्वीर को सीसीटीवी कैमरे में पल्सर बाइक के पीछे बैठे हत्यारे के चेहरे से मिलाया गया। इसके बाद उसकी हरेक गतिविधि पर नजर रखी जाने लगी और उसे रांची-पटना के बीच सड़क से उठाया गया।

दंग रह गई पुलिस

एसएसपी की मानें तो ऋतुराज ने हत्या का जो कारण स्पष्ट किया है वह सुनने में अटपटा लगता है, मगर उसकी हरेक बात की पुष्टि की गई है। उसके परिवार की आर्थिक हालत अच्छी है, लेकिन वह बाइक चोरी करता है। हर दस दिन पर ऋतुराज अपनी बाइक बदल लेता था। 29 नवंबर 2020 को पटना एयरपोर्ट से चितकोहरा जाने के क्रम में लोजपा के प्रदेश कार्यालय के पास वह चोरी की बाइक से कट ले रहा था, तभी रूपेश सिंह अपनी एमजी हेक्टर कार से तेज रफ्तार में जा रहे थे। बाइक कार से भिड़ गई और वह मरते-मरते बचा। इसके बाद रूपेश ने गाड़ी से उतरकर उसकी पिटाई कर दी और पुलिस के हवाले करने की बात कहने लगे। रूपेश के साथ कार में कुछ लोग थे। चूंकि, ऋतुराज चोरी की बाइक पर था, इसलिए वह माफी मांगकर निकल गया। थोड़ी दूर आगे जाने के बाद वह मुड़ा और रूपेश की गाड़ी का पीछा करते हुए पटेल गोलंबर तक गया। उसने रूपेश की कार का रजिस्ट्रेशन नंबर नोट कर लिया।

चार बार की कोशिश

उसने रूपेश को चार बार मारने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सका। उसने रूपेश के दिनचर्या की जानकारी ली। वारदात के दिन दोपहर 2.58 बजे से वह राजवंशी नगर हनुमान मंदिर से सटी चाय दुकान के आसपास मंडराता रहा। किसी को शक न हो इसलिए हर 15 मिनट पर बाइक से घूमकर वहीं लौट आता था। शाम 5.58 बजे रूपेश वहां से गुजरे तो वह और उसके साथी बाइक से पीछा करने लगे। मौका पाकर उन्होंने कुसुम विला अपार्टमेंट जहां रूपेश परिवार के साथ रहते थे, के बेसमेंट में ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस दौरान रूपेश को छह गोलियां लगीं और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। इसके बाद चारों अपराधी फरार हो गए। एसएसपी ने दावा किया है कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं। फरार तीनों आरोपित भी पटना के ही रहने वाले हैं। बहरहाल मामले में 23 वें दिन पटना पुलिस के सफल होने का दावा किया जा रहा है। पटना पुलिस को 200 सीसी टीवी कैमरे व 4000 सीडीआर, 600 टीबी डाटा खंगालना पड़ा। 50 से अधिक लोगों से पूछताछ करनी पड़ी।

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पुलिस की थ्योरी को नीतू ने भी नकारा

जासं, छपरा : इंडिगो के पटना हेड रूपेश सिंह हत्याकांड के पर्दाफाश के पटना पुलिस के दावे पर पत्नी नीतू सिंह ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने पुलिस की थ्योरी को सीधे नकार दिया है। नीतू का कहना है कि पुलिस जो कारण बता रही है, जायज प्रतीत नहीं होता, क्योंकि उस दिन मारपीट जैसी कोई घटना नहीं हुई थी। रूपेश की पत्नी ने बताया कि वह घटना मामूली थी, जिसे हम लोग भूल चुके थे। पुलिस इस मामले की लीपापोती कर रही है।

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पुलिस की थ्योरी पर सवाल

रोड रेज के अधिकांश मामलों में तुरंत हमला होता है, कोई भी घटना को निजी दुश्मनी में नहीं बदलना चाहता।

वारदात को अंजाम देने का तरीका बिल्कुल प्रोफेशनल शूटर वाला था, लेकिन ऋतुराज या उसके साथी प्रोफेशनल शूटर नहीं हैं।

वारदात से चार घंटे पहले ऋतुराज ने मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था तो क्या चार बार के अन्य प्रयास में भी उसने ऐसा किया था।

ऋतुराज अगर प्रोफेशनल बाइक चोर है तो क्या उसने और उसके साथियों ने हत्याकांड को अंजाम देने के लिए ही हथियार खरीदे थे।

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पटना पुलिस ने खंगाले

200 सीसीटीवी

4000 सीडीआर

600 टीबी डाटा

50 से पूछताछ