-ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट के सीएम कैंडिडेट बने रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा

-समाजवादी जनता दल के प्रमुख देवेंद्र प्रसाद यादव बने नया मोर्चा के संयोजक

PATNA: असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम (ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के साथ उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा), पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव के समाजवादी जनता दल, डॉ। संजय चौहान की जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बनाया है। बिहार की चुनावी जंग में यह पांचवां मोर्चा है। राजग और महागठबंधन के अलावा पप्पू यादव के नेतृत्व में पीडीए, चिराग के नेतृत्व में लोजपा और दूसरे दलों के बागियों का गुट इससे पहले से मैदान में हैं।

243 सीटों पर तैयारी

नए गठबंधन के संयोजक देवेंद्र प्रसाद यादव बनाए गए हैं, जबकि उपेंद्र कुशवाहा गठबंधन में सीएम पद के कैंडिडेट घोषित किए गए हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि नया गठबंधन में देरी जरूर हुई है पर दुरुस्त होकर हम एकसाथ आए हैं। हमारा गठबंधन सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में महागठबंधन और राजग दोनों फेल है। नीतीश कुमार के 15 साल के शासन में बिहार और पीछे ही गया है। वहीं बसपा के बिहार प्रभारी रामजी सिंह गौतम ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में जनता को बेहतर प्रदेश बनाने का भरोसा देंगे। बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री रहते उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जो कार्य की हैं और योजनाएं चलायीं हैं, उसी तर्ज पर बिहार को विकास पथ पर ले जाएंगे। देवेंद्र प्रसाद यादव ने दावा किया कि अगली सरकार हमारा मोर्चा की ही बनेगी। जनवादी पार्टी सोशलिस्ट के डॉ.संजय चौहान आदि ने भी अपनी बातें रखीं।

बेहतर फ्यूचर के लिए गठबंधन : ओवैसी

एआइएमआइएम के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया के सवालों पर कहा कि बिहार के बेहतर फ्यूचर के लिए हमने उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में नया गठबंधन बनाया है। इस फ्रंट के जो कैंडिडेट जहां से मैदान में होंगे उनकी जीत के लिए हम काम करेंगे। उन्होंने राजद, जदयू और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जदयू और भाजपा के 15 साल तथा राजद-कांग्रेस के 15 साल के शासन के बाद भी बिहार के गरीबों की स्थिति जस की तस है। राज्य सामाजिक, आíथक और शिक्षा के क्षेत्र में अब भी बहुत पीछे है।