-पूर्व मंत्री समेत कई दलों के नेता बीजेपी में हुए शामिल

PATNA: लालू यादव के नजदीकी आरजेडी के वरिष्ठ नेता सह पूर्व सांसद सीताराम यादव बुधवार को बीजेपी में शामिल हो गए। साथ ही अन्य नेताओं ने भी बीजेपी की सदस्यता ली है। सीताराम को कभी लालू का बेहद करीबी माना जाता था। राजद संगठन में भी उनकी अच्छी दखल थी। सीताराम यादव लालू और राबड़ी सरकार में मंत्री रहे थे। उधर, जेडीयू की लोजपा से अदावत जारी है। बिहार में लोजपा के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह कभी भी जेडीयू में शामिल हो सकते हैं। पिछले हफ्ते बिहार में बसपा के इकलौते विधायक जमा खान जेडीयू में शामिल हो चुके हैं। इतना ही नहीं, इससे पहले चकाई के निर्दलीय विधायक सुमित सिंह भी जेडीयू को समर्थन दे चुके हैं।

बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में मेगा शो

बीजेपी ने पार्टी प्रदेश मुख्यालय में बुधवार को मेगा शो का आयोजन कर राजद, कांग्रेस, लोजपा और रालोसपा के डेढ़ दर्जन नेताओं को कमल का सिपाही बनाने का एलान किया। साथ ही गुरुवार से शुरू होने जा रहे क्षेत्रीय प्रशिक्षण शिविर में पार्टी की रीति-नीति का पाठ पढ़ाने टास्क भी थमा दिया। बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री और बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी की मौजूदगी में बिहार बीजेपी अध्यक्ष डॉ। संजय जायसवाल ने सभी नेताओं को बीजेपी की सदस्यता दिलाई।

पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटें कार्यकर्ता

बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में आयोजित मिलन समारोह में भूपेंद्र यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं से पंचायत चुनाव में पूरी मजबूती से जुट जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता से लेकर बूथ स्तरीय कार्यकर्ता तक पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक कार्यकर्ताओं की मदद करें। भूपेंद्र ने मिलन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अगर राजद, कांग्रेस और रालोसपा समेत अन्य दलों के नेता उन्हें छोड़कर बीजेपी में आ रहे हैं तो इसका सीधा मतलब है कि उनका अपने नेतृत्व की कार्यशैली पर भरोसा नहीं है।

वंशवाद पर किया प्रहार

उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को भरोसेमंद नेतृत्व चाहिए, जो भाजपा देश को दे रही है। नीति, नीयत व नेतृत्व विहीन दलों से लोगों का मोहभंग होना स्वाभाविक है। राजद ने हमेशा वोट बैंक की राजनीति की और उसी वोट बैंक से छलावा किया। कांग्रेस ने भी वोट बैंक की राजनीति की और परिवार के अलावा किसी की तरफ देखा भी नहीं। राजद-कांग्रेस की आंखों पर परिवारवाद का ऐसा पर्दा चढ़ा है कि उन्हें बेटा-बेटी के अलावा कुछ दिखता ही नहीं। देश के विपक्षी दल भरोसे के संकट से जूझ रहे हैं। जनता का भरोसा तो वे गंवा ही चुके हैं। अब अपनी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं का भी भरोसा खो रहे हैं। वंशवादी और परिवारवादी राजनीति का यही हश्र है।