पटना (ब्यूरो)। मिशन 60 के तहत मेडिकल कालेज से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक की चिकित्सा व्यवस्था एवं सेवा को बेहतर बनाने का अभियान जारी है। इसी बीच नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में विशेषज्ञ चिकित्सक, चिकित्सक तथा आवश्यकता संसाधन रहने के बावजूद लगभग तीन सालों से यहां के आई बैंक पर ताला लटका है। ²ष्टिबाधितों की आंखों की रोशनी लौटाने की नेक नीयत के साथ कार्निया दान करने के लिए हर दिन लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। विभाग द्वारा अब तक टेक्नीशियन उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण आई बैंक चालू नहीं हो पा रहा है। इस मामले में अस्पताल प्रशासन और विभाग ने खुद को बेबस बताते हुए अपनी विवशता जाहिर की है। एनएमसीएच के मुख्य प्रवेश द्वार के बायीं ओर आई बैंक के नवनिर्मित भवन का कोरोना काल में ही उद्घाटन हुआ। उस समय भवन में कोरोना नियंत्रण कक्ष बना दिया गया। आई बैंक के लिए आवश्यक सभी तरह की मशीनें बीएमएसआइसीएल द्वारा उपलब्ध करायी गयी है। इन मशीनों व संसाधनों की सुरक्षा के लिए नेत्र रोग विभाग द्वारा नर्स की यहां ड्यूटी लगायी जा रही है। कर्मी का कहना है कि हर दिन लोग यहां कार्निया दान करने और प्रत्यारोपण के लिए पहुंचते हैं। कार्निया निकालने और लगाने के लिए डाक्टर तो हैं लेकिन टेक्नीशियन, कोआर्डिनेटर, काउंसिलर नहीं है।

विभाग में 22 चिकित्सक कार्यरत

एनएमसीएच के नेत्र रोग विभाग में एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर, छह असिस्टेंट प्रोफेसर, सात सीनियर रेजिडेंट, तीन साल के छह पीजी डाक्टर, एक मेडिकल आफिसर कार्यरत हैं। अधीक्षक द्वारा आई बैंक के लिए चालक सहित एंबुलेंस भी उपलब्ध कराया गया है। कार्निया निकालने में सहयोग करने तथा बैंक में सुरक्षित रखने के लिए टेक्नीशियन तथा कार्निया दान के लिए काउंसिलर आदि नहीं है।

आई बैंक चालू करने के लिए आवश्यक कर्मचारी उपलब्ध कराने संबंधित पत्र प्रत्येक पंद्रह दिनों पर प्राचार्य, अधीक्षक एवं विभाग को लिखता हूं। तीन साल बीतने को है। विभाग में डाक्टर की कमी नहीं है। कर्मी मिलते ही बैंक चालू हो जाएगा।

डा। प्रदीप कारक, विभागाध्यक्ष, नेत्र रोग विभाग

विभाग को पत्र लिखा गया है। टेक्नीशियन व कर्मी मिलते ही आई बैंक चालू किया जाएगा। चिकित्सक व उपकरण उपलब्ध है।
प्रो। डा। रेणु रोहतगी, अधीक्षक, एनएमसीएच