घोषणा होती रही लेकिन नहीं शुरू हुआ मास्टर्स कोर्स

- यूजी के स्टूडेंट हायर एजुकेशन के लिए पलायन को मजबूर

PATNA :

बिहार-झारखंड में सरकार के अधीन संचालित एकमात्र आ‌र्ट्स एंड क्राफ्ट कॉलेज में अब तक एमएफए (मास्टर्स इन फाइन आर्ट) कोर्स शुरू नहीं हो पाए हैं। यहां हर साल सैकड़ों छात्र बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स की पढ़ाई करते हैं लेकिन इसके आगे उन्हें भविष्य की चिंता सताती रहती है। कई स्टूडेंट तो बेहतर की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं, लेकिन ज्यादातर यहीं से अपने करियर के लिए जद्दोजहद करते हैं। चाह रखने के बाद भी स्टूडेंट्स एमएफए के लिए यहां से बाहर नहीं जा पाते हैं।

स्टूडेंट्स का कहना है कि पटना यूनिवर्सिटी के अंतर्गत संचालित यह कॉलेज इसके अन्य कॉलेजों से भिन्न है। इस कॉलेज में आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए आते हैं। अगर यहां पीजी लेवल की पढ़ाई शुरू हो जाती तो हम और बेहतर कर पाते। स्टूडेंट्स की इस मांग पर कॉलेज भी गंभीर है। इस बारे में बीते 15 साल से मास्टर्स ऑफ फाइन आ‌र्ट्स कोर्स शुरू करने की मांग जारी है, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।

होती है चर्चा, नहीं दिखता रिजल्ट

इस बार 25 जनवरी को इसके फाउंडेशन डे के मौके पर एमएफए को लेकर चर्चा एक बार फिर से उठी। इस बारे में कॉलेज की ओर से बताया गया कि इस बारे में प्रयास चल रहा है। जल्द ही पटना यूनिवर्सिटी के सीनेट में नया कोर्स तैयार होने के बाद इसे आगे राजभवन को भेजा जाएगा। अब देखना यह है कि यह कितना प्रभावी होगा। क्योंकि इससे पूर्व भी इस बात की चर्चा पिछले फाउंडेशन डे पर भी हुई थी। लेकिन आगे कोई अपडेट नहीं मिला।

कोर्स शुरू होगा तो मिलेगा विकल्प

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस बारे में यहां के पूर्व स्टूडेंट्स से भी बातचीत की। सभी का कहना है कि यदि मास्टर्स ऑफ फाइन आ‌र्ट्स कोर्स शुरू होता है तो यहां से पासआउट छात्रों को बेहतर करियर विकल्प मिलेगा। कॉलेज के पूर्व छात्र रामाकांत ने बताया कि इस मांग के लिए उन्होंने अपने समय में भी संघर्ष किया था। लेकिन कुछ हो नहीं पाया। केवल टालमटोल ही होता रहा। अभी भी यही स्थिति है।

बाहर पढ़ाई करने वाले नाखुश

त्रिपुरा में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे रामाकांत बड़ी परेशानी झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के कई छात्र बिहार से बाहर मास्टर्स कर रहे हैं। लेकिन नियम यह है कि जो संबंधित राज्य के कॉलेज हैं, सबसे पहले उन्हें ही स्कॉलरशिप दिया जाता है। इसलिए बाहर के छात्र कई बार स्कॉलरशिप लेने से चूक जाते हैं। अमित कुमार, दुलार जी और अन्य पूर्ववर्ती छात्र इसी प्रकार की समस्या का जिक्र करते हैं।

कोर्स शुरू होना लंबी प्रकिया

यदि यह मान लिया जाए कि इसी साल से मास्टर्स कोर्स चालू करने के लिए प्रक्रिया शुरू की जाती है तो भी कम से कम इस वर्ष से इसकी संभावना नहीं है। नियम के अनुसार इसका कोर्स तैयार होने और इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन को भेजना और फिर सिंडिकेट में पास कराना होता है। इसके बाद यह राजभवन के पास भेजा जाएगा। यहां से स्वीकृति के बाद मान्यता मिलेगी।

आ‌र्ट्स एंड क्राफ्ट कॉलेज के प्रिंसिपल को सिलेबस तैयार करने को कहा गया है। इसके बाद आगे कोर्स को स्वीकृति के लिए सिंडिकेट के पास भेजा जाएगा। यह कोर्स चालू करने के लिए हमलोग प्रयासरत हैं।

- डॉ एनके झा, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर

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बात बेहतर अवसर पाने की हो या आ‌र्ट्स या टीचिंग एरिया में जाना हो, मास्टर्स कोर्स जरूरी है। लेकिन यहां इसकी व्यवस्था नहीं है।

- रामाकांत

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कॉलेज प्रशासन ने मास्टर्स कोर्स को चालू करने के लिए पहले से प्रयास ही नहीं किया। इसलिए आज भी यह समस्या बनी हुई है। छात्र बाहर जाने को विवश हैं।

- अमित सक्सेना

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इस राज्य में एक से बढ़कर एक कलाकार निकले हैं। लेकिन कॉलेज स्वयं को कोर्स के लेवल पर अपग्रेड करने को तैयार ही नहीं है, तो क्या होगा।

- नितेश कुमार रजक

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स्टूडेंट्स से बनी पहचान

आ‌र्ट्स एंड क्राफ्ट कॉलेज के कई स्टूडेंट्स अपने क्रिएटिव टैलेंट के बूते देश ही नहीं विदेशों में भी काफी नाम और सम्मान कमा रहे हैं। वे कभी-कभार यहां आते भी हैं.उनसे इस कॉलेज को भी सम्मान और शोहरत मिली। स्टूडेंट्स ने कहा कि कॉलेज को भी चाहिए कि अपने इस नाम और शोहरत का बचाए।