PATNA: लगातार चार दिनों से चल रहे हड़ताल की वजह से पटना की स्वास्थ्य सेवा बुरी तरह चरमरा गई है। शनिवार को प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों ने भी नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के विरोध में कामकाज छोड़कर हड़ताल को शामिल हो गए। हड़ताल का असर पटना न्यू गार्डिनर और राजवंशी नगर हॉस्पिटल व अन्य अस्पतालों में भी देखने को मिला। सुबह से ही मरीजों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं। दूर दराज से आए मरीजों को अस्पताल से बिना इलाज कराए वापस लौटना पड़ा।

दोपहर बाद चली इमरजेंसी

जूनियर डॉक्टरों ने पीएमसीएच की ओपीडी में ताला जड़ दिया जबकि आइजीआइएमएस में मरीजों का इलाज किया गया। वहीं एम्स की इमरजेंसी और आईसीयू में दोपहर एक बजे के बाद हड़ताल खत्म हुआ ओपीडी और ऑपरेशन थिएटर को डॉक्टरों पूरी तरह से बहिष्कार कर दिया। हड़ताल की वजह से दूसरे जिलों से आने वाले मरीजों का रजिस्ट्रेशन तक बाधित है।

समर्थन में विभिन्न छात्र दल

एनएमसीए बिल के विरोध में जूनियर डॉक्टरों समर्थन करने के लिए पटना यूनिवर्सिटी के विभिन्न छात्र दल एकत्र हुए। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन के नेताओं ने कारगिल चौक पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्ष व‌र्द्धन का पुतला भी दहल किया। एआईएसएफ भी डॉक्टरों का समर्थन किया है। छात्र नेताओं ने पीएमसीएच सहित कई अन्य अस्पतालों जाकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन न सिर्फ प्रदर्शन किया बल्कि इस्तीफे की भी मांग की।

कई अस्पतालों में निकला प्रोटेस्ट मार्च

एनएमसी बिल के विरोध में आईजीआईएमएस, पीएमसीएच, एम्स सहित अन्य अस्पतालों डॉक्टरों कैंडिल मार्च निकालकर विरोध किया। पीएमसीएच में देर शाम तक कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। रामजी प्रसाद के साथ बैठक चलती रही। मगर नतीजा कुछ नहीं निकला।

बेटी की जान खतरे में है, कोई डॉक्टर आगे आओ

छपरा से अपनी बेटी का इलाज कराने आई चंदा देवी का रो रो कर बुरा हाल था। इमरजेंसी में जाने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें न्यूरो सर्जन विभाग में रेफर कर दिया। विभाग में आने के बाद पता चला आज हड़ताल है कोई डॉक्टर नहीं बैठे हैं। अपनी बेटी के इलाज के लिए चंदा डॉक्टरों से गुहार लगा रही थी मगर सुनने वाला कोई नहीं था।