सबसे बड़ी मूर्ति और बापू की यादों को समेटे है गांधी मैदान

- गांधी संग्रहालय में है बापू की जीवन गाथा

PATNA :

महात्मा गांधी का बिहार और पटना की धरती से पुराना नाता है। पटना की धरती को सौभाग्य प्राप्त है कि बापू 1917 में चंपारण जाते समय यहां रुके थे। पटना के पग-पग पर गांधी की निशानियां आज भी मौजूद हैं। गांधी के नाम पर एक ओर शहर का सबसे बड़ा मैदान है तो दूसरी ओर सबसे ऊंची प्रतिमा। शहर में एक ओर जहां विद्यापीठ है तो दूसरी ओर गांधी संग्रहालय जहां आज भी बापू से जुड़ी यादें सहेज कर रखी गई हैं।

गांधी संग्रहालय

पटना में बापू की स्मृति में जो स्थल हैं, उनमें गांधी संग्रहालय प्रमुख है। गांधी मैदान के एक कोने पर गोलघर के पास स्थित यह संग्रहालय छात्रों और बापू में रुचि रखने वालों के लिए फेवरेट प्लेस है। संग्रहालय के मुहाने पर साहित्य स्टॉल है, जहां से बापू और सर्वोदय से जुड़े साहित्य खरीदे जा सकते हैं।

एंट्री के साथ ही होता है बापू का एहसास

परिसर में प्रवेश करते ही राष्ट्रीय एकता का संदेश देती सुंदर मूíत दिखाई देती है। बायीं तरफ बापू और टैगोर दो महान आत्माओं के मिलन को प्रदर्शीत किया गया है। आगे बापू और बा (कस्तूरबा) की मूíतयां हैं। संग्रहालय बहुत बड़ा नहीं है पर बापू के जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष पर अच्छा प्रकाश डालता है, जिसमें उनकी वंशावली, संविधान की एक प्रति एवं बापू के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कुछ सामग्री की प्रतिमूíत रखी है।

कई चरखे हैं मौजूद

गांधी संग्रहालय परिसर में चरखों का विशाल संग्रह देखा जा सकता है। चरखा यानी स्वदेशी और स्वावलंबन का प्रतीक। अलग से बने भवन में 20 से ज्यादा तरह के चरखे यहां देखे जा सकते हैं। इनमें कई चरखे काफी पुराने हैं। यहां आप अंबर चरखा (राजकोट माडल), बिल्कुल साधारण मॉडल वाला किसान चरखा के अलावा सादा सा बिहार चरखा देख सकते हैं।

गांधी मैदान में सर्वधर्म प्रार्थना सभा

स्वतंत्रता आंदोलनों से लेकर संपूर्ण क्रांति और कई दिवसों का गवाह बना यह गांधी मैदान बापू के नाम पर बनाया गया। भारत के सबसे बड़े मैदानों में से एक गांधी मैदान में कभी घुड़दौड़ होती थी। अंग्रेजों के जमाने में इसे पटना लॉन भी कहा जाता रहा। भारत विभाजन के बाद शहर में हुए दंगे फसाद ने महात्मा गांधी को भी पटना आने पर विवश कर दिया था। बापू ने गांधी मैदान में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया जहां हजारों लोग जमा हुए। समय बीतता गया शहर के साथ मैदान का भी कायाकल्प हुआ।

पटना में बापू की सबसे ऊंची प्रतिमा

पटना में दुनिया की सबसे ऊंची गांधी मूíत की प्रतिमा स्थापित की गई है। मूíत का अनावरण 15 फरवरी 2013 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। गांधी मैदान में महात्मा गांधी के अलावा देशरत्न डॉ। राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, जयप्रकाश नारायण, अबुल कलाम आजाद, जवाहर लाल नेहरू जैसे नेताओं ने आजादी की लड़ाई के समय रैलियों को संबोधित किया था।

गौरवमयी है गांधी शिविर का इतिहास

बापू ने जीवन का महत्वपूर्ण समय एएन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान के परिसर स्थित गांधी शांति शिविर भवन में गुजारा था। उस समय कई जगहों पर सांप्रदायिक तनाव था। तब यह भवन डॉ। सैयद महमूद का निवास था। उनके बुलावे पर 5 मार्च 1947 को महात्मा गांधी सहयोगी निर्मल बोस, मनु गांधी, सैयाद अहमद, देव प्रकाश नायर के साथ यहां पहुंचे थे। इस भवन में रहते हुए ही गांधी के बुलावे पर सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खां 8 मार्च 1947 को यहां आए थे। लार्ड माउंट बेटेन के बुलावे पर 15 दिनों के लिए दिल्ली गए पर 14 अप्रैल 1947 को लौट आए। फिर से शांति स्थापना कार्य के लिए 40 दिन यहां रहे। 24 मई 1947 को बापू पटना से वापस दिल्ली गए थे।

विद्यापीठ से भी जुड़ी हैं कई यादें

1920 में बिहार विद्यापीठ की स्थापना बापू ने ही धनबाद के व्यापारियों से चंदा मांगकर करायी थी। वहीं राजेन्द्र प्रसाद के घर के आगे चबूतरे पर बैठ वह रघुपति राघव राजा राम। का संकीर्तन भी किया करते थे। वह चबूतरा और राजेन्द्र प्रसाद का घर अब भी मौजूद है, जिन्हें अब संग्रहालय में बदल दिया गया है।