- आईपीएस की ओर से व‌र्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित

PATNA (10 Oct):

परिभाषा बदल चुकी है खुश रहने और खुशी पाने की। आज जो परिभाषा इसकी है वह वेस्टर्न मॉडल पर आधारित है जिसमें साधन( पैसा) को ही सुख और सुविधा मान लिया गया है। और इसे खुशी से जोड़ा जाता है। गांधी जी इसके सख्त खिलाफ थे। वर्तमान परिस्थिति में मेंटल हेल्थ की स्थिति बहुत खराब है। इसके लिए सरकार, सिविल सोसाइटी और कारपोरेट सभी को मिलकर काम करना होगा, क्योंकि इनके पहलुओं को किसी व्यक्तिगत मामले की तरह नहीं देखा जा सकता। यह सवाल देश का है। सभी लोग मानसिक रूप से स्वस्थ और संपूर्ण होंगे तभी देश आगे बढ़ेगा। ये बातें शनिवार को व‌र्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के अवसर पर इंडियन साइकेट्रिक सोसायटी (आईपीएस), बिहार स्टेट ब्रांच की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी एवं सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ विनय कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि इस बार का थीम मेंटल हेल्थ फॉर ऑल - ग्रेटर इन्वेस्टमेंट, ग्रेटर एक्सेस, एवरीवन, एवरीव्हेयर है। हमें बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या करना चाहिए इस थीम में ही सभी बातें कह दी गई है। हालांकि हकीकत में मेंटल हेल्थ के लिए हम सभी तय लक्ष्य से कोसों दूर है। इस कार्यक्रम में देश भर के 200 से अधिक रजिस्टर्ड साइकैटरिस्ट ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से जुड़े हुए थे यह कार्यक्रम पटना के एक निजी होटल में आयोजित किया गया था।

बड़े गैप को दूर करने की दरकार

सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी डॉ विनय कुमार ने मेंटल हेल्थ के संबंध में मौजूद हेल्थ केयर एक्सपर्ट और इसकी वास्तविक जरूरत के बीच के बड़े गैप की ओर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने बताया कि हमारे देश में मेंटल हेल्थ से जुड़े लगभग 15 करोड़ पेशेंट है देश के कुल बजट में से फिलहाल महज 0.67 प्रतिशत है। मेंटल हेल्थ केयर के लिए आवंटित है। इससे समझा जा सकता है कि राष्ट्रीय स्तर पर मेंटल हेल्थ केयर को लेकर वस्तु स्थिति क्या है। उन्होंने बताया कि कम से कम 45000 साइकेट्रिस्ट की आवश्यकता है जबकि वर्तमान में केवल 9000 ही रजिस्टर्ड साइकैटरिस्ट उपलब्ध है।

डब्ल्यूएचओ ने कराया अलर्ट

अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में मेंटल हेल्थ को लेकर कम महत्व दिए जाने पर भी क्लीनीसियन और साइकेट्रिस्ट ने अपनी चिंता व्यक्त की कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि डब्ल्यूएचओ ने अलर्ट किया है कि पूरे विश्व में मेंटल हेल्थ की समस्या की वजह से 103 ट्रिलियन यूएस डॉलर का नुकसान अगले 18 सालों में होने वाला है इसलिए हर स्तर पर यानी सरकारी गैर सरकारी और व्यक्तिगत स्तर पर मेंटल हेल्थ को महत्व देना आज की प्राथमिकता होनी चाहिए विशेषज्ञों ने बताया कि बिहार के मामले में स्थिति और चिंताजनक है क्योंकि यहां सामान्य स्वास्थ्य के कई पहलू अभी भी बहुत पिछड़े अवस्था में है ऐसे में मेंटल हेल्थ के ऊपर समुचित ध्यान बिल्कुल नहीं दिया जा रहा।

प्रॉमिस पूरा करने की बात

प्रोग्राम में कीनोट ऐड्रेस देते हुए डॉ विनय कुमार ने कहा कि आज का दिन विशेष है क्योंकि यह एक प्रॉमिस डे भी है इस थीम में मेंटल हेल्थ पर अधिक से अधिक इन्वेस्टमेंट बढ़ाने और इसके इलाज की सुविधा सभी तक मुहैया कराने का संकल्प है इस संकल्प को पूरा करने में सरकार का फंड कॉर्पोरेट का फंड यानी सीएसआर और एनजीओ जो अपने सíवस इसके साथ ही मेंटल हेल्थ को एड्रेस करने का काम करें इसके साथ ही व्यक्तिगत स्तर पर लोग अपने जिम्मेदारी का विस्तार कर सकते हैं इससे पहले कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत आईपीएस बिहार ब्रांच के प्रेसिडेंट डॉ राजेश कुमार संरक्षक डॉ पी के सिंह और जनरल सेक्रेटरी डॉ विनय कुमार ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर किया कार्यक्रम में एम्स नई दिल्ली से राजेश सागर, आईजीआईएमएस पटना से डॉक्टर राजेश कुमार, पीएमसीएच से डॉ पी के सिंह और बिहार स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड एलाइड साइंसेज कोइलवर और एम्स पटना के साइकेट्रिक डिपार्टमेंट के हेड डॉ पंकज कुमार ने भी अपनी बातें रखी।