रश्मि अग्रवाल बेंगलुरू में आईटी कंपनी में जॉब करती हैं। घर आते वक्त या घर से जाते वक्त वो हमेशा इस बात का ख्याल रखती हैं कि कम से कम लगेज हो, क्योंकि पटना से बेंगलुरू और बेंगलुरू से पटना आने के क्रम में एयरवेज कंपनियों ने कई बार इनका सामान गुम कर दिया है। ये तो हुई एक रश्मि की बात। लेकिन एयरपोर्ट पर सैकड़ों ऐसे पैसेंजर्स हैं जो रश्मि की तरह ही लगेज गुम होने का दुख झेल रहे हैं।

50 लगेज मिसिंग
पटना से दिल्ली हो या पटना टू मुंबई, हर दिन औसतन एक लगेज मिस हो ही जाता है। पटना एयरपोर्ट के आंकड़ों को मानें तो अक्टूबर से लेकर मीड नवंबर तक डिफरेंट फ्लाइट्स से लगभग 50 लगेज मिसिंग हैं। जहां तक सामान गुम होने की बात है कंपनियों द्वारा पैसेंजर्स को तुरंत पे किया जाता है, लेकिन जितनी रकम दी जाती है उससे पैसेंजर्स संतुष्ट नहीं हैं।

उन दिनों की बात है
इस ऐक्ट के अनुसार हाथ में 10 किलो तक और साथ में 25 किलो तक का ही लगेज पैसेंजर्स ले जा सकते हैं। इस ऐक्ट के तहत लगेज गुम होने के बाद प्रति किलो के हिसाब से 450 रुपए पे किये जाते हैं। यह कंपनसेशन रेट 1972 के ऐक्ट के हिसाब से तय है और अब तक फॉलो हो रही है। यही वह कानून है, जिसे हर एयरवेज कंपनी को फॉलो करना होता है। इसी के तहत एयर इंडिया, इंडियन एयरलाइंस, जेट एयरवेज, गो एयर आदि तमाम कंपनीज आज भी एक किलो सामान पर 450 रुपये का ही कंपनसेशन देती हैं। पैसेंजर्स की मानें तो ऐसे में उनके खोए हुए सामान की आधी वैल्यू भी उन्हें नहीं मिलती है।