-सात बच्चे मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन यानी एमआईएस-सी से बीमार

PATNA: कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव के रूप में ब्लैक फंगस और अब एक दूसरी नई बीमारी एमआईएस-सी (मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन) ने पटना समेत बिहार में दस्तक दे दी है। इस बीमारी से पीडि़त 7 बच्चे पटना के विभिन्न हॉस्पिटल्स में एडमिट हो चुके हैं। इसकी चपेट में वे बच्चे आ रहे हैं, जो या तो कोरोना को मात दे चुके हैं या उनके घर में कोई पॉजिटिव हुए थे। इस बीमारी का असर कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के दो से छह सप्ताह बाद दिखता है। 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को यह हो सकता है, लेकिन 12 से कम उम्र के मासूम पर इसका खतरा ज्यादा है।

जांच रिपोर्ट रहती है निगेटिव

पीएमसीएच में शिशु रोग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ। निगम प्रकाश नारायण ने बताया कि पटना और खगडि़या जिले के एक-एक बच्चे आए थे, जिनमें एमआईएस-सी की पुष्टि हुई है। उनकी हालत में सुधार है। वहीं, 5 बच्चे महावीर वात्सल्य में इलाज करा रहे हैं। इस रोग में दो लक्षण एक साथ हो तो यह एमआईएस-सी हो सकता है। सीआरपी और डी-डाइमर जैसी जांचों से इसकी जानकारी आसानी से हो सकती है। ऐसे रोगियों की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव रहती है।

इम्यून पावर है कारण

कोरोना को मात देने वाले या संक्रमितों के संपर्क में आए बच्चों में से एक परसेंट को ही यह रोग होने का खतरा रहता है। 99 परसेंट बच्चे हॉस्पिटल में कुछ स्टेरॉयड और अन्य सामान्य दवाओं से ठीक हो जाते हैं। इस बीमारी का कारण कोरोना के कारण शरीर में अधिक मात्रा में एंटीबॉडी बनना है। जिससे लिवर, किडनी, हार्ट आदि अंग प्रभावित होते हैं। समय पर इलाज नहीं होने पर हृदय की धमनियां कमजोर हो जाती हैं और पर्याप्त रक्त नहीं मिलने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

बुखार ठीक होने के बाद भी दो महीने तक अलर्ट रहें। एमआईएस-सी हो सकता है। इसके लक्षणों को देखने के बाद बिना देरी किए प्रभावित बच्चे को विशिष्ट सुविधा वाले अस्पताल में ले जाएं।

-डॉ शंभू कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ पटना