-24 घंटे में पटना में मॉब लिंचिंग की तीन घटनाओं से सहमा राजधानी

-इंसाफ के नाम पर दरिंदगी और हैवानियत का खौफनाक खेल

PATNA : भीड़ का अंधा कानून। इंसाफ के नाम पर दरिंदगी और हैवानियत का खौफनाक खेल। यहां तक कि अपने जैसे ही एक इंसान की हत्या। जी हां, बिहार की राजधानी पटना के अलग-अलग हिस्सों में हिंसक भीड़ की ऐसी ही तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिसे देखकर हर किसी का दिल सहम जाए। आखिर लोकतंत्र में भीड़ का ये कैसा तंत्र है। भीड़ की इस मानसिकता पर देश के हुक्मरान तक चिंता जता चुके हैं लेकिन भीड़ का अंधा कानून कायम है। हैरानी की बात ये पिछले 24 घंटे में पटना में मॉब लिचिंग की तीन घटनाएं हो चुकी है। पहली घटना गांधी मैदान थाने में, दूसरी घटना नेउरा थाना क्षेत्र और तीसरी घटना परसा बाजार थाना क्षेत्र में हुई है। ताजा घटना राजधानी के परसा बाजार थाना क्षेत्र की है जहां शुक्रवार की सुबह करीब 8 बजे उन्मादी भीड़ ने बच्चा चोरी के आरोप में एक युवक को पीट-पीट कर लहुलुहान कर दिया। हालांकि घटना की जानकारी होते ही मौके पर दलबल के साथ पहुंचे परसा के एसएचओ ने आरोपी को भीड़ से छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने उनको भी अपना शिकार बना लिया और पीट कर चोटिल कर दिया। इतना ही नहीं भीड़ ने पुलिस वाहन में भी तोड़-फोड़ किया। हालांकि किसी तरह से पुलिस ने भीड़ को शांत कराया। अब इस मामले में पुलिस भीड़ में शामिल उपद्रवियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।

अचानक फैली अफवाह, विक्षिप्त आया चपेट में

जानकारी के अनुसार पटना के परसा बजार थाना क्षेत्र के रहीमपुर गुमटी के पास शुक्रवार को अचानक बच्चा चोरी होने की अफवाह फैली। इस दौरान वहां पर घूम रहे एक विक्षिप्त को लोगों ने पकड़ लिया। लोग उसे पीटने लगे। आस-पास के लोगों को भी बच्चा चोरी होने के बारे में जानकारी मिली तो वो लोग भी दौड़कर पहुंचे और बिना कुछ सोचे उस युवक को पीटने लगे। युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना की जानकारी जैसे ही पुलिस को लगी। किसी तरह से पुलिस ने मामला शांत कराया।

जिप्सी कर दिया क्षतिग्रस्त

सैकड़ों की संख्या में आसपास के ग्रामीणों की भीड़ विक्षिप्त युवक कोपीट रही थी। आक्रोशित लोगों से युवक को छुड़ाने पहुंचे थानेदार जयप्रकाश समेत कई पुलिस कर्मियों की भी भीड़ ने पिटाई कर दी। इतना ही नहीं, लोगों का गुस्सा पुलिस वाहन पर भी टूटा और पुलिस जिप्सी को क्षतिग्रस्त कर दिया। भीड़ में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। परसा बाजार थाना पुलिस ने विक्षिप्त युवक को इलाज के लिए पीएमसीएच भेज दिया है। विक्षिप्त के चेहरे पर बहुत ज्यादा चोट लगी है। उसके नाक और कान पर गहरे जख्म के निशान हैं। डॉक्टर उसको बचाने की हर संभव कोशिश में जुटे हुए हैं।

मानसिक विक्षिप्त को भीड़ बना रही निशाना

पटना में पिछले एक महीने में मॉब लिचिंग की जो घटनाएं हो रही है। इसमें अधिकांश केस में ये सामने आ रहा है कि भीड़ रोड पर घूम रहे मानसिक विक्षिप्त लोगों की ही ज्यादा निशाना बना रही है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर रोड पर इन्हे सुरक्षा कैसे मिलेगी। अगर इन्हे सुरक्षा नहीं मिली तो उन्मादी भीड़ ऐसे ही इन्हे निशाना बनाती रहेगी। इस कारण बेकसूर लोगों की हत्या होती रहेगी।

भीड़ का अंधा इंसाफ

-26 जुलाई 2019 : मनेर थाना क्षेत्र के छिहत्तर गांव में एक विक्षिप्त युवक को ग्रामीणों ने बच्चा चोर समझ कर उसकी जमकर पिटाई कर डाली, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया। पीडि़त दिल्ली के बसंत बिहार का रहने वाला है, उसे यहां ट्रेन ने उतार दिया गया था।

1 अगस्त 2019 : भीड़ ने नेउरा ओपी के नेउरागंज व बिहटा थाना क्षेत्र के पटेल हॉल्ट सहबाजपुर, कोरहर व अल्हनपुरा रेलवे गुमटी के निकट घूम रहे अर्ध विक्षिप्त, मूक बधिर एवं एक भिखारी की जमकर पिटाई कर दी। लोगों का आरोप था कि उनकी गतिविधि संदिग्ध लग रही थी।

1 अगस्त 2019 : गांधी मैदान थाना क्षेत्र में चिरैया टांड पुल के नीचे महज एक हजार रुपए के मोबाइल चोरी के आरोप में हरी लाल नामक युवक को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। मृतक मानसिक रूप से विक्षप्त था। पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

30 जुलाई 2019 : दुल्हिन बाजार थाना क्षेत्र में एक युवक भीड़ के हत्थे चढ़ गया। दरअसल नौवीं में पढ़ने वाला रईस कुमार ट्यूशन पढ़कर साइकिल से घर लौट रहा था। इस दौरान लोग रास्ते में उसे बच्चा चोर समझकर पीटने लगे। किसी तरह मशक्कत कर रवि को भीड़ के चंगुल से छुड़ाया गया।

23 जुलाई 2019 : फुलवारीशरीफ में प्रेम-प्रसंग में इंटर के एक छात्र की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। घटना पटना के परसा बाजार थाना क्षेत्र में न्यू एतवारपुर के पास रेलवे ट्रैक के किनारे मिलने के बाद सनसनी फैल गई। युवक अपने घर से बर्थ-डे पार्टी में निकला था। इस दौरान भीड़ ने उसे पकड़ लिया।

25 जून 2019 : अगमकुआं थाना क्षेत्र में एक कार चालक ने रोड किनारे सो रहे बच्चों को रात करीब दो बजे रौंद दिया। इसमें चार बच्चों की मौत हो गई। बच्चों की मौत के बाद भीड़ काफी आक्रोशित हो गई और वाहन चालक को पीट-पीट कर मार डाला।

भीड़ के उग्र होने का कारण

सूचनाओं का तेजी से फैलना : इस समय हम डिजिटल युग में रह रहे हैं, जहां सूचनाएं बिजली की गति से फैलती हैं। इस कारण लोग उग्र हो जाते हैं।

अवांछित सामाग्री देखना-पढ़ना : शहर-गांव के चौराहों-चौपालों में होने वाली चर्चा का दायरा अब अनंत हो चुका है। इस बढ़ते दायरे का दुरुपयोग अब अवांछित सामग्री देखने और पढ़ने के लिए भी हो रहा है।

संवाद की कमी : बिना सोचे-समझे मैसेज आगे बढ़ाए जाते हैं जिसमें कई बार कभी बच्चा चोरी और ऐसी अन्य धार्मिक, राजनैतिक या योजनाबद्ध उन्मादी अफवाहें फैल रही हैं, जिससे भीड़ उग्र हो जाती है और बिना सोचे-समझे किसी जान लेने पर उतारू हो जाती है।

सोशल मीडिया : सबसे बड़ा कारण है हर हथेली में अपनी जगह बना चुका स्मार्टफोन, उस पर से सोशल मीडिया पर फैलता वैमनस्य। सोशल मीडिया प्लेट्फॉर्म के जरिए ही ऐसे भड़काऊ मैसेज और अफवाहें ही भीड़ की नायक बन जाती हैं।

व्यक्तिगत दुश्मनी : कई बार किसी व्यक्तिगत दुश्मनी, किसी 'खास कारण' या किसी कुंठा के चलते भी कोई भीड़ को उग्र बना रहा होता है। बिना देखे-जाने वाट्सएप पर लोग धड़ल्ले से इसे शेयर करते जाते हैं। इस कारण इस तरह की घटनाएं हो रही है।

(क्ििलकल साइकेट्रिस्ट सरिता शिवांगी के बात-चीत पर आधारित)

क्या है भीड़ की हिंसा

सवाल यह है कि क्या है भीड़ की यह उन्मादी हिंसा (मॉब लिचिंग) और क्या हैं इसके कारण समान्य भाषा में कहें तो जब भीड़ नियंत्रण से बाहर जाकर एक या अधिक व्यक्तियों पर किसी अपराध के संदेह में हमला करती है तो उसे मॉब लिंचिंग कहते हैं। ऐसे मामलों में भीड़ पीट-पीटकर हत्या भी कर देती है। सामान्यत: ये घटनाएं बिना परिणाम सोचे-समझे किसी अपराध के बाद या अफवाह के कारण होतीं हैं। लोग किसी को भी अपराधी समझ लेते हैं और फिर कानून हाथ में ले लेते हैं।

कार्रवाई की जा रही है

मारपीट करने वाले लोगों के खिलाफ वीडियो फुटेज के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। लोगों ने गलत किया है। अगर उन्हें किसी प्रकार का शक था, तो उन्हें पुलिस को सूचना देनी चाहिए थी।

जितेंद्र कुमार, एसपी ईस्ट