- बच्चों ने दिखाया शॉक्ड कर देने वाला टैलेंट

-आईआईटी के स्टूडेंट्स ने बच्चों को किया गाइड

PATNA: विज्ञान प्रदर्शनी के दूसरे दिन समावेशी विकास के लिए देशज प्रौधोगिकी विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बच्चों में जागरूकता लाने के लिए एके गुप्ता और जीवीएस आर प्रसाद ने संगोष्ठी में चर्चा आयोजित की। साथ ही आईआईटी के पासआउट स्टूडेंट्स ने भी वहां मौजूद छात्रों का मार्गदर्शन किया।

बनाया अनोखा वाटर टैंक

आठवीं में पढ रही प्रतिभा रानी बांका से आयी है। प्रतिभा ने उत्पलावन बल के कॉन्सेप्ट को यूज करते हुए अनोखा वाटर टैंक बनाया है। इस मॉडल का अगर मॉल या अपार्टमेंट या फिर आप अपने घरों में करेंगे, तो पानी की बर्बादी नहीं होगी। साथ ही यह एक ऐसे सिस्टम पर काम करती है कि आपको बार बार पानी खत्म होने की स्थिति में मोटर चलाने के झंझट से बचाएगा। तीन टैंक को एक बड़े टैंक में जोड़ा गया है और तीनों में उत्पलावन बल का नियम काम करता है। पानी खत्म होने पर मोटर खुद ब खुद चलेगा और पानी भर जाने पर मोटर खुद से बंद भी हो जाएगा।

मैगनेटिक एनर्जी से चलेगा हाइड्रोलिक मशीन

मुंगेर के फिलिप हाई स्कूल के आकाश के मॉडल की मानें, तो अब जेसीबी, क्रेन जैसी भारी मशीनें बिना फ्यूल के ही चलेंगी। आकाश ने मैगनेटिक एनर्जी और सोलर इनर्जी का इस्तेमाल कर ऐसा मॉडल तैयार किया है। यह मॉडल पास्कल के सिद्धांत पर काम करता है।

अब ड्राइवर लैस होगा शिप

पानी में चलने वाला जहाज अब बिना ड्राइवर के होगा। उसे कंट्रोल रूम से बैठ कर कंप्यूटर के माध्यम से ऑपरेट किया जाएगा। जी हां, विशेश्वर सेमिनरी छपरा से आये अमन टोपो के मॉडल को देखेंगे तो यह संभव होता प्रतीत होगा। अमन टोपो ने एक ऐसा शिप बनाया है, जो जिसे दूर स्थित कंट्रोल रूम से ही ऑपरेट किया जाएगा। इसकी खास बात यह है कि इसे हर कोई चला भी नहीं सकता है। जो व्यक्ति शिप के सॉफ्टवेयर और कंट्रोल रूम के सॉफ्टवेयर के कोड को जानेगा, वही ऑपरेट कर पायेगा। शिप के चारो ओर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है, जिससे शिप के सराउंडिंग की जानकारी कंट्रोल रूम को मिलती रहेगी। इस जहाज की एक खासियत यह भी है कि यह फ्यूल के साथ साथ बैट्री से भी चलेगी।

ऑटोमेटिक होगा रेलवे क्रॉसिंग

रेलवे क्रॉसिंग पर आए दिन घटना होती रहती है। कभी मानव रहित फाटक के पास तो कभी गार्ड की गलती की वजह से। इन्हीं घटनाओं ने हाई स्कूल बटसार, बांका के मो। असलम को प्रेरणा दी और उसने एक ऐसा क्रॉसिंग बनाया, जहां रेलवे के किसी भी स्टाफ को रहने की आवश्यकता ही नहीं है। असलम के इस मॉडल में दिखाया गया है कि ट्रेन जब क्रॉसिंग से तीन किलोमीटर दूर रहेगी, तभी क्रॉसिंग के पास जोर-जोर से अलार्म बजने लगेगा, जिससे लोग अलर्ट हो जाएंगे। इसके बाद जब ट्रेन क्रॉसिंग से एक किलोमीटर दूर रहेगी तो बैरियर ऑटोमेटिकली गिर जायेगा। असलम ने कहा कि इससे रेलवे के धन और श्रम दोनों की बचत होगी।