पटना ब्‍यूरो। प्रशासन, बुद्धिजीवी वर्ग और उद्योग जगत के बीच बेहतर समन्वय को बढ़ावा देने हेतु जीटीआरआई जैसा मंच की भूमिका है। बिहार में भारत की विकास गाथा में योगदान देने की अपार क्षमता है। यह समय विकास के पारंपरिक दृष्टिकोण से परे सोचने और इस क्षमता को साकार करने के लिए मिशन मोड में काम करने का है। सपनों को साकार करने के लिए कार्य संस्कृति में बदलाव किया जाना चाहिए। ये बातें जम्मू -कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने जीटीआरआई के चौथे संस्करण के उद्घाटन के मौके पर कही। आगे उन्होंने कहा कि इनक्लूसिव डेवलपमेंट के लिए स्किल वर्कर के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर की भी जरूरत है। इस संदर्भ में, प्रशासन, बुद्धिजीवियों और उद्योग जगत के बीच बेहतर समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है।

जर्नल का किया विमोचन
इस अवसर पर कार्यक्रम के अलग हिस्से में जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा कार्यक्रम के दौरान 'बिहार डिस्कोर्स जर्नलÓ का पहला संस्करण और कवि-राजनयिक अभय के द्वारा अनुदित मगही उपन्यास 'फूल बहादुरÓ के अंग्रेज़ी संस्करण का विमोचन किया गया। अभय ने इस मौके पर उपन्यास के बारे में विस्तृत जानकारी दी और पाठकों के लिए विचार परक और उपयोगी बताया।

प्रवासियों के लिए एकजुटता
इस मौके पर विचारों और रणनीतियों के नेटवर्क के लिए तमाम बुद्धिजीवी उपस्थित रहे। ये सभी काफी उत्साहित महसूस कर रहे थे जब एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण मंच है जो राज्य के अतीत के गौरव को पुनर्जीवित करने के अलावा राज्य के सर्वांगीण विकास हेतु प्रभावी रणनीति बनाने का अवसर है। भारत और दुनिया भर में फैले बिहारी प्रवासियों को एकजुट कर रहा है। मैं जीटीआरआई को उसके प्रयासों में सफलता की शुभकामनाएं देता हूं। पटना में आयोजित जीटीआरआई 4.0 के दो दिवसीय सम्मेलन में जीवन के हर क्षेत्र से सफल व्य1ितयों की भागीदारी देखी गई। इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने वाले हाई प्रोफाइल गणमान्य व्यक्तियों में भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय सिंह, डॉ। एस। सिद्धार्थ, बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, डॉ। एन। विजया लक्ष्मी, प्रधान सचिव, पशु और मत्स्य संसाधन, बिहार सरकार समेत कई बिजनेस और स्टार्टअप टाइकून शामिल थे।

बिहार में दानी उद्योगपति की कमी
बिहार 'धारणा बनाम वास्तविकताÓ विषय पर आधारित एक सत्र में भाग लेते हुए, भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय सिंह ने कहा कि बिहार बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस अधिकारी पैदा करने के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन दुर्भाग्यवश, हम अजीम प्रेमजी और एन आर नारायण मूर्ति जैसे उद्योगपति या बिजनेस टाइकून पैदा करने में सक्षम नहीं हैं। बुनियादी ढांचे का विकास समग्र विकास की कुंजी है। इस दिशा में राज्य के राजनीतिक नेतृत्व को आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है ताकि निवेश आकर्षित करने के लिए निवेशकों की धारणा बदली जा सके।