-वोटर बनने के बाद भी

मुद्दे हो गए गौण

-जागरूकता में आगे रहे लेकिन मुद्दे आज भी पीछे

PATNA: राज्य में जागरूकता कार्यक्रम हो या नुक्कड़ नाटक अपनी ओर से ये समुदाय बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता है लेकिन साल दर साल बीतने के बाद भी इनके मुद्दे ना तो चुनावी पार्टी का एजेंडा बन पाते हैं और ना ही इनके लिए कोई ठोस निर्णय लिया जाता है। राज्य में अब तक के विधानसभा चुनावों में एक भी

किन्नर उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतरा। वहीं किसी भी राजनीतिक दल ने भी इस वर्ग से प्रत्याशी की तलाश नहीं की। हालांकि, किन्नर वर्ग ने जब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी, तो सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 में इन्हें थर्ड जेंडर के रूप में इसे मान्यता दी। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की बात करें तो ना सिर्फ किसी पार्टी के एजेंडे में इनके अधिकारों की चर्चा है ना ही किसी पार्टी में इनकी भागीदारी ही नजर आती है।

कई मांग पर नहीं है ध्यान

बिहार में ट्रांसजेंडर समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रही दोस्ताना सफर की रेशमा प्रसाद बताती हैं कि हमारी मूलभूत सुविधाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास पर ही चुनावी पाíटयों को ध्यान देना चाहिए, परंतु हमारी यह मामले ही अभी तक किसी पार्टी के एजेंडे में शामिल नहीं हैं। कागजों पर कई निर्णय सामने आए थे पर धरातल में अभी कुछ भी नहीं है। और वर्तमान में भी किसी तरह का ना तो कोई आश्वासन है ना ही कोई रणनीति। विपक्षी पाíटयों में भी रोजगार या अन्य चीजों के दावे किए जा रहे हैं पर यहां भी ट्रांसजेंडर समुदाय के मुद्दे गौण हो गए हैं।

2010 में जोड़ा गया था कॉलम

इसके बाद से ही 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में स्पष्ट रूप से महिला और पुरुष के बाद तीसरा कॉलम थर्ड जेंडर के रूप में जोड़ा गया। जानकारों का कहना है कि 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में ही महिला और पुरुष के बाद अन्य के रूप में तीसरा कॉलम जोड़ा जा चुका था। हालांकि, उस साल चुनाव आयोग द्वारा जारी रिजल्ट में तीसरे कॉलम में मतदाताओं की संख्या शून्य दिखायी गयी है। वहीं, चुनाव प्रत्याशियों की भी संख्या शून्य है। जानकारों की मानें तो 2012 में ही चुनाव आयोग ने ट्रांसजेंडर के लिए अलग कॉलम का प्रावधान किया था। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदाताओं के रूप में थर्ड जेंडर की भी पहचान की गयी।

2015 के बिहार विस में मतदाता बने

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में थर्ड जेंडर के रूप में कुल मतदाता 2116 थे। वहीं पुरुष मतदाता तीन करोड़ 57 लाख 82 हजार 181 थे। महिला मतदाताओं की संख्या तीन करोड़ 12 लाख 72 हजार 523 थी। इस तरह कुल मतदाताओं की संख्या छह करोड़ 70 लाख 56 हजार 820 थी। मतदान करने वालों की कुल संख्या तीन करोड़ 79 लाख 93 हजार 173 थी। इस तरह करीब 56.66 फीसदी मतदान किया गया था। इसमें थर्ड जेंडर ने भी 33 वोट डाले थे।