पटना (ब्यूरो) पूरा सर्विस चार्ज लेने के बाद भी पैसेंजर्स को न तो टिकट पर ट्रेन आने का वक्त पता चल पा रहा है और न ही टे्रन कब अपने डेस्टिनेशन पर पहुंचेगी, इसके बारे में ही जानकारी हो पा रही है। ऐसे में ट्रेन की टाइमिंग के लिए परेशान पढ़े-लिखे पैसेंजर्स तो गूगल का सहारा लेकर अपना काम चला ले रहे हैं, लेकिन जो पढ़े-लिखे नहीं हैं उन्हें रेलवे की इनक्वायरी, साइबर कैफे या एजेंट के पास दौड़ लगानी पड़ रही है।

टिकट पर सिर्फ 'एनएÓ

अगर पैसेंजर ने खुद रेलवे का टिकट नहीं कराया है तो उसे अपने टिकट से सिर्फ जर्नी डेट ही पता चल पा रही है। इसके अलावा अगर उसे इस बात की जानकारी करनी है कि उसकी गाड़ी कितने बजे चलकर अपने डेस्टिनेशन पर कब पहुंचेगी, तो इसके लिए उसे आईआरसीटीसी की वेबसाइट या फिर इंडियन रेलवे की वेबसाइट का ही सहारा लेना होगा। ऐसा इसलिए कि उनके टिकट पर बुकिंग डेट, जर्नी डेट तो शो कर रही है, लेकिन डिपार्चर और अराइवल टाइम की जगह 'एनएÓ नजर आ रहा है। ऐसे में ट्रेन कब चलेगी और कब पहुंचेगी, यह जानने के लिए पैसेंजर्स परेशान हैं।

एक अक्टूबर से बदला है टाइम टेबल

देश भर में रेलवे ने अपने टाइम टेबल में बदलाव किया है। गाडिय़ों की टाइमिंग 2 मिनट से दो घंटे तक बदली गई है। ऐसे में पैसेंजर्स की परेशानी और बढ़ गई है। खुद से टिकट करने के दौरान तो पैसेंजर्स को गाड़ी का समय नजर आ रहा है, लेकिन अगर किसी ने एजेंट के जरिए अपना टिकट कराया है तो उसे अपनी गाड़ी का वक्त जानने के लिए या तो एजेंट के पास जाना पड़ रहा है या फिर उन्हें गूगल का सहारा लेना पड़ रहा है।

अपडेट हो रही है टाइमिंग

इस मामले में आईआरसीटीसी के जिम्मेदारों की मानें तो रेलवे ने अपना टाइम टेबल अपडेट किया है। इसको सिस्टम में फीड करने की प्रॉसेस चल रही है। टाइमिंग में काफी बदलाव हुआ है, ऐसे में पैसेंजर्स को कोई कनफ्यूजन न रहे, इसके लिए ट्रेन की अराइवल और डिपार्चर टाइमिंग को फिलहाल हटा दिया गया है, वहीं उसके सामने एक मैसेज दिया गया है कि 'चेक टाइमिंग बिफोर बोर्डिंगÓ यानि कि बोर्डिंग से पहले अपनी टाइमिंग चेक कर लें। इससे पैसेंजर्स सेम डे सही वक्त पर अपनी ट्रेन पकड़ लेंगे और उनको किसी तरह का कोई कनफ्यूजन नहीं होगा।

रेलवे ने टाइम टेबल को एक अक्टूबर से चेंज कर दिया है। ऐसे में इसकी फीडिंग चल रही है। अपग्रेडेशन के बाद प्रॉब्लम रिजॉल्व हो जाएगी और फिर से अराइवल और डिपार्चर स्टेट शो करने लगेगा।

- सिद्धार्थ सिंह, पीआरओ, आईआरसीटीसी