पटना (ब्यूरो)। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर देश और दुनिया में बेहद चिंता की स्थिति है। इसमें सेफ्टी लेवल को बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज को भी विशेषज्ञ जरूरी बता रहे हैं। लेकिन बिहार में इसे लेकर अभी तक तैयारी नहीं हुई है। न ही ऐसी कोई एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) या गाइडलाइन ही तैयार की गई जिसमें बूस्टर डोज लेने के संबंध में निर्देश हो। यदि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का असर यहां भी मिला तो स्थिति बेकाबू हो सकती है। बूस्टर डोज लेने के संबंध में यदि स्थिति स्पष्ट कर दी जाए, तो इससे आम लोगों के बीच तनाव घटाने में भी मदद मिलेगी।

तैयारी की कमी
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से लडऩे को लेकर पटना सहित प्रदेश भर में तैयारी का अभाव है। डॉक्टर्स की मानें तो जब ओमिक्रॉन की पहचान को लेकर जांच पर ही बिहार फेल है तो संक्रमण को रोकने में क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इस बात की पुष्टि आईसीएमआईआर का पटना स्थित संस्थान आरएमआरआई ने भी किया है। आरएमआरआई में कोरोना के इस नए वैरिएंट की जांच के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की जरूरत होगी। जांच की यह व्यवस्था बिहार में फिलहाल नहीं है। ऐसे में यदि कर्नाटक जैसे हालात हुए तो इसका संक्रमण रोकना कठिन होगा।

लोग चाहते हैं बूस्टर डोज
यदि केवल पटना शहरी क्षेत्र की बात करें तो यहां वैक्सीनेशन लगभग पूरा हो गया है। जो लोग दोनों वैक्सीन ले चुके हैं वे ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए बूस्टर डोज लगवाना चाहते है। इसे लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शहर के अलग-अलग जगहों पर रह रहे लोगों से बातचीत की। इसमें दोनों डोज ले चुके लोगों का कहना है कि बूस्टर डोज से सेफ्टी का दायरा बढ़ जाएगा। इसलिए इसे लगवाना चाहते हैं। हालांकि जब तक इसे लेकर राज्य सरकार के स्तर पर एसओपी जारी नहीं होता है, तब तक लोग इससे वंचित ही रहेंगे।

सरकार का ध्यान सेकेंड डोज पर
राज्य सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, अभी सरकार का पूरा ध्यान सेकेंड डोज लगवाने पर है। ताकि वैक्सीनेशन में छूट गए लोगों को वैक्सीन दी जाए। सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से अभी सार्वजनिक स्थानों पर टेस्टिंग को बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति विदेश से आया हो तो उस पर विशेष नजर रखी जा रही है।

अभी हमें ऐसा कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है कि बूस्टर डोज लगाया जाना है। न ही इसके लिए कोई एसओपी ही तैयार की गई है। एंटीबॉडी की जांच के संबंध में भी कोई तैयारी नहीं की गई है।
- डॉ विभा कुमारी, सिविल सर्जन पटना

जिन लोगों ने कोरोना की दोनों वैक्सीन लगवा ली है, उन्हें बूस्टर डोज मिलने से उनका व्यक्तिगत सुरक्षा चक्र मजबूत होगा। खास तौर यदि उनका एंटीबॉडी कम हो तो इससे उन्हें सपोर्ट मिलेगा।
- डॉ शंकर प्रकाश, पूर्व हेड माइक्रोबायोलॉजी, पीएमसीएच

यदि लोग जांच कराएं एंटीबॉडी का और वह कम पाया जाए, तो बूस्टर डोज लगाया जाना चाहिए। यह सरकार को तय करना है कि वे भले ही इसे कम्पलसरी न करें लेकिन यह अवसर रहे लोगों को कि वे बूस्टर डोज ले सकें।
- डॉ एसके शाही, पूर्व हेड माइक्रोबायोलॉजी, आईजीआईएमएस