- बोर्ड ने कहा-प्राइवेट पब्लिशर्स के बुक्स होते हैं अन साइंटिफिकली डिजाइंड

- एनसीईआरटी के सिलेबस व किताबों को फॉलो करें स्कूल

PATNA: सीबीएसई से एफिलिएटेड स्कूलों में चल रहे लूट का एक उदाहरण किताबें भी हैं। स्कूलों में किताबें हर साल बदल दी जाती हैं। साथ ही एनसीईआरटी की किताबों की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों को ये स्कूल ज्यादा प्रेफर करते हैं। इस कारण पेरेंट्स पर जहां आर्थिक बोझ बढ़ता है, वहीं बच्चे भी सालों भर मानसिक दबाव में रहते हैं। आई नेक्स्ट ने अप्रैल में पब्लिश्ड किया था कि ''किताबों के नाम पर लूट रहे हैं स्कूल''। प्राइवेट स्कूलों की इस मनमानी पर इस बार सीबीएसई ने संज्ञान लिया है। सीबीएसई ने तमाम स्कूल के हेड को इस संदर्भ में लेटर भी लिखा है और आवश्यक निर्देश भी दिए हैं।

पेरेंट्स पर दबाव न बनाएं स्कूल्स

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने सीबीएसई से एफिलिएटेड सभी स्कूलों को लेटर लिखा है। बोर्ड ने स्कूलों के हेड को साफ-साफ कहा है कि स्कूल बच्चों को अनावश्यक टेक्स्ट बुक प्रेफर न करें। साथ ही यह भी कहा है कि जितना संभव हो स्कूल एनसीईआरटी के डिजाइन किए गए सिलेबस के हिसाब से ही किताबें चलाएं। बोर्ड ने कहा कि प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें मंहगी तो होती ही हैं साथ ही साथ इसका कई वॉल्यूम में भी होते हैं। इतना ही नहीं प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें साइंटिफिकली डिजाइन नहीं की गई होती हैं। इन सारे तकरें के साथ बोर्ड ने स्कूलों को पेरेंट्स और बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाने से मना किया है।

यशपाल कमेटी की रिपोर्ट लागू हो

बोर्ड ने स्कूलों को प्रोफेसर यशपाल कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की सलाह दी है। मालूम हो कि प्रोफेसर यशपाल की कमेटी ने लर्निग विदाउट बर्डन में स्कूली बच्चों के सिलेबस को लेकर कई बदलाव सुझाये थे, साथ ही कमेटी ने कहा था कि स्कूल और कैरीकुलम स्टूडेंट को बर्डेन न लगे साथ ही रिपोर्ट के बाद कई क्लासेस से कुछ टेक्स्ट बुक को हटाया भी गया था। क्लास ए‌र्ट्थ तक के सिलेबस एनसीईआरटी डिजाइन करती है, वहीं नाइंथ से ट्वेल्थ तक का सिलेबस सीबीएसई डिजाइन करती है। बोर्ड ने सभी स्कूलों को इस रूल का फॉलो करने को कहा है। बोर्ड ने कहा है कि हमारे पास आए दिन इस तरह के कंप्लेन आते रहते हैं।

पटना के स्कूलों का भी यही हाल है

बोर्ड को किताबों को लेकर अक्सर कंप्लेन मिलती हैं, साथ ही यह भी शिकायत बोर्ड को मिली है कि स्कूल अनावश्यक किताब चलवाते हैं। यही हाल पटना के भी अधिकांश स्कूलों का है। स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें नहीं के बराबर पढ़ाई जाती हैं। वहीं पैरेंट्स को मजबूर किया जाता है कि प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें ही लें और वो भी स्कूल के द्वारा बताए गए दुकानों में। इतना ही नहीं, स्टेशनरी के नाम पर भी पेरेंट्स से पैसे वसूले जाते हैं।